From a successful TV anchor to a political activist: Shazia Ilmi in conversation with Madhu Kishwar

Following is the transcription of the interview of Shazia Ilmi, a reputed journalist turned politician, by Prof. Madhu Kishwar, a renowned social activist, academician and founder of Manushi. The interview gives an insight into the journey of Shazia from the field of journalism to the murky expedient world of politics. The interview is in two parts, the first part traces her transition as a journalist to being part of the India Against Corruption movement which metamorphosed into the Aam Aadmi Party (AAP) and the events that led to her resignation from the AAP. The second part of the interview focuses on her decision to join the BJP as a Muslim, her role and experiences in the party. 

Below is the transcription of the first part of the interview with Shazia Ilmi. In this transcription Shazia Ilmi is referred to as S.I. and Prof. Madhu Kishwar as M.K.


MK: मानुषी के मित्रों को मेरा नमस्कार. आज में आपको शाज़िया इल्मी, जो मेरी पुरानी दोस्त है, प्यारी दोस्त है इनसे मुलाकात कराने जा रही हूँ . वैसे तो शज़िआ किसी introduction की मुहताज नहीं. आप इनको आये दिन टीवी पर देखते होंगे , इनके बेबाक views सुनते होंगे. परन्तु आज हमारी बात वह टीवी channels की debates से काफी हटके होने वाली है. शाज़िया ने अपना career एक journalist के हैसियत से शुरू किया after finishing her degree in Department of Mass Communications from Jamia Milia Islamia जो आज के दिन बड़े गलत कारणों के लिए मशहूर हुई है . पर उन दिनों यह department of Mass Comm वाकई बहुत prestigious department माना जाता था. That was in 1994. 

SI: Yes .

MK: You topped your department उसके बाद इन्होंने अलग – अलग TV channels में काम किया है और फिर Star News के साथ as a debut anchor, she has worked  for about 7-8 years, am I right ?  

S.I.: That’s right .

MK: And  then  2011  में बड़ा मोड़ लिया इनके ज़िन्दगी ने जब इन्होंने अपना journalist career त्याग के India Against Corruption जो movement Anna Hazare के नाम से चलायी गयी थी. हालाँकि असली में नेता तो अरविन्द केजरीवाल ही थे पीछे सारा management करने वाले. अण्णा हज़ारे  का तो नाम ही था. तो उस movement से जुडी 2011 में और उसमें इतनी लिप्त हो गयी की जब अरविन्द केजरीवाल ने वह movement बंद करके, ठप करके एक नया पार्टी बनायीं आम आदमी पार्टी तो उसमें भी शाज़िया was  a  prime leader in that party. 2013 में आम आदमी पार्टी के candidate के रूप में Delhi Assembly की election भी लड़ी और मात्र 2080 votes से हारी थी वह election. बड़ी controversial हो गयी थी उस वक्त इनकी electoral presence, क्योंकि कोई sting operation हुआ था जिसकी वजह से इनको काफी नुकसान भी हुआ और फिर क्या हुआ आज बताएगी शाज़िया की एक साल, एक-डेढ साल में ही इन्होंने आम आदमी पार्टी को भी त्याग दिया और नौ महीने घर में शांत  बैठने के बाद इकाई BJP join किया. और कोई आम आदमी पार्टी से निकल के BJP जाए that was indeed a big shocker to the आम आदमी पार्टी as well as Shazia’s own community. क्योंकि सब जानते है मुस्लिम community को कितना परहेज़ है BJP से तो वह journey के बारे में भी आज बात करेंगे. 

SI: ज़रूर .

MK: और 2017 में शाज़िया को BJP ने Delhi State का Vice President बनाया . अब में अपनी बात की शुरुआत इनकी journalist career से जो transition हुआ, आम आदमी पार्टी या India Against Corruption अरविन्द केजरीवाल की नेतागिरी में यह survive की . वह जो transition था शाज़िया, क्या आपको फितूर आया क्योंकि as a journalist and as  an anchor politicians were chasing you. You were sought after by the political leaders और अब आपको chase करना पड़ता है अपनी ही पार्टी के leaders को. So, what made you do that? 

SI: देखिये यह बहुत ही जदोजहत के बाद, क्योंकि जिस परिवार से आती हूँ , हमारा एक सुन्नी middle  class  घर कानपूर से हैं, चमनगंज का इलाका है जो एक ghetto  type का हैं मुसलमानों का. वहाँ से मैं निकली हूँ वहाँ से मैं पढ़ी हूँ . वहाँ पर अब्बा जी के वजह से यह जो खिताब है जो इल्मी नाम जो है, जिसके बारे में आप पहले भी पूछ रही थी. इल्मी नाम जो है वह खिताब अब्बा को Darul Uloom Deoband से मिला था. और अब्बा उस किस्म के मौलाना थे जो बिलकुल ही progressive थे, nationalist थे. और एक सबसे पुराना अखबार जो तब-से अब तक शाय हो रहा है निकल रहा है, publish हो रहा है सियासत जदीद उसके editor रहे हैं. तो वही उसी में पली बढ़ी हूँ. जितने भी पैसे होते थे अब्बा हमें स्कूल भेजने में fees में खर्च करते थे. तो मतलब वही हमारे बड़ी  बहन का uniform पहनकर जाती थी. तो उसको जरा hem किया जाता था, मेरे size का बना दिया जाता था. तो that’s how I have grown up. तो यह सोचना की कभी मैं…

MK: Deoband से आपके अब्बा का जो connection  हैं उस में मैं कभी फिर बात करूंगी क्योंकि Deoband  के बारे में बहुत किस्म के गलतफहमियाँ या सही-फहमियाँ कहे हैं . उसका image जो आज के दिन हैं वह शाज़िया इल्मी के लिए तैयार किसी को नहीं करता की वहाँ की product  शाज़िया इल्मी हो सकती हैं .

SI: लेकिन हर जगह कुछ लोग होते हैं जो अपने निशान छोड़ते हैं . Iconoclastic  होते हैं defy करते हैं stereotypes को. 

MK: आपके अब्बा भी ?

SI: अब्बा भी बिलकुल उसी तरह थे और अब्बा ने बाकायदा कहा की बच्चों के लिए अंग्रेजी और हिंदी पढ़ना जरूरी हैं . मेरे भाइयों को Doon  School  भेजा हम लोगों को St. Mary’s Convent भेजा जो अपने आप में बहुत ही बड़ी बात थी. और बहुत ही उसमें हंगामा हुआ की बच्चियां skirt  पेहेनके कैसे जाएगी और अब्बा ने कहा नहीं जरूरी है यह . वहाँ पर भी अब्बा जो थे अपने आप में एक मिसाल थे. और मैं उन्हीं की बेटी हूँ . और वह जीवित नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा जीवित दुनिया में कोई है तो मेरे लिए तो पिताजी हैं . अब्बा ही मेरे दुनिया में सबसे ज्यादा ज़िंदा हैं बगैर किसी और के . खैर मैंने जब Mass Communication join  किया , जब Jamia से pass out  किया वह एक बहुत बड़ी चीज़ थी. मैं काफी young थी अपने MA degree के लिए भी और मुझे एक साल skip करना पड़ा . मैंने कहा अगर मुझे  आप admission नहीं देंगे उम्र कम होने के वजह से तो मेरी शादी हो जाएगी . 

MK: ऐसा होने वाला था ?

S.I.: तो मैंने कहा की मैं फंस जाऊंगी, आप please यह कर दीजिये मेरे लिए और किदवई साहब थे उस वक़्त in charge उन्होंने कहा ठीक हैं , मैं seventh  थी,  मेरा seventh  नाम आया था जनरल quota में. वह एक expression मिला था अपनी बात कहने का . जहाँ से मैं आती थी और एक जो पूरी सोच थी, क्योंकि हम लोग के दिमाग में हैं की हर एक मुस्लिम नौ जवान या कोई इंसान एक ही तरह से सोचेगा, और कहने का ही हम लोग कोई homogenous लोग नहीं है की हर मुसलमान ऐसा है और हर हिन्दू ऐसा है , हर जाट ऐसा है , हर सय्यद ऐसा है और हर पठान ऐसा है और हर पसमिंदा मुसलमान ऐसा हैं . तो एक individual छाप  अपनी बनाने की और अपनी journey  की  और अपनी self-exploration  की, ढूंढने की जो थी जुस्तजू वह इसके लिए वह रास्ता बढ़ा अच्छा था, शानदार था . लेकिन Jamia  में भी आप बहुत ज्यादा यकीन नहीं करेगी, अब्बा से मैं सुनती थी बहुत सी बाते और अब्बा ने भी बहुत काम किया था curfew  होते थे कानपुर में और communal  riots  होते थे . लेकिन मैंने कभी भी अपने घर में RSS  की नफरत वाली बात कभी भी नहीं सुनी थी . लेकिन Jamia Mass Comm में first और second year में बाकायदा हमें सिखाया जाता था की सबसे बुरी चीज़ अगर देश  में कोई है तो RSS हैं . और मैंने इतना सुना नहीं था मुझे मालूम था की हिन्दू – मुस्लिम फसाद होते रहते हैं और मुसलमानों की हालत बेहतर नहीं होती हैं. यह मैं जरूर जानती थी की यह सरकार आती है और वह आती है लेकिन कुछ बदलता नहीं हैं . चाहे वह ND Tiwari हो चाहे वह कुछ और हो . 

MK: नहीं पर आप, क्यों यह फिर negative stereotyping है Muslim community का ? I would say की it’s a very highly upwardly mobile community. 

SI: No, no. हिन्दुओं की भी और RSS की भी stereotyping थी वहाँ. 

MK: हाँ .

SI: हिन्दुओं की भी थी और, वहाँ से शुरू हुआ था न, रामायण शुरू हुआ था उस time , तो आप यकीन नहीं करेंगी सारे thesis उस पर लिख रहे थे . 

MK: उसको trash करते हुए ? 

SI: जी उसको trash करते हुए. और मेरे घर में मेरी खुद की अम्मी रोजाना रामायण जब भी Sunday को आता था रामायण देखती थी, सब घरों में . तो मुझे समझ नहीं आता की यह नफरत क्यों हैं . तो मैं दोनों तरफ की बात नहीं समझ पाती थी .

MK: तो indoctrination शुरू से ही Jamia Mass Comm में था .

SI: बिलकुल, बिलकुल रहा है और मैं young थी मुझे लगता था वह cool  हैं. एक पूरा Marxism, dialectic, materialism, thesis anti-thesis और Hindutva और majoritarianism के खिलाफ लड़ना और तभी आप जानते हैं की रथ यात्रा की सारे बाते हो रही थी. तो वह बहुत ही volatile माहौल था देश के लिए. पर मैं सोचती रहती थी की क्योंकि इसका मेरी direct जिंदगी में कोई असर नहीं पड़ता था. खैर, Jamia से pass out किया . बहुत अच्छी-अच्छी avenues पूरा खुल रहा था पूरा , नए sector नए-नए channels आ रहे थे और मैं सही जगह पर थी . और मैंने सोचा नहीं था की कानपुर में जहाँ अम्मी बुरका पहनती हैं और हम नज़रें झुकाकर निकलते हैं, सर पर दुपट्टा जरूर बांधते थे. और station  से जब आते हैं , चमनगंज की तरफ गाडी पहुँचती हैं या रिक्शा पहुँचता हैं तो automatically  दुपट्टा सर में आ जाता हैं एक reflex  action  की तरह. तो मैंने  सोचा नहीं था की मैं कभी TV में होंगी और बहुत लोग मेरी बाते सुनेंगे और मैं कुछ अपनी बात को कह पाऊँगी . और तब से मेरा rebellion  था. मैंने rebellion हर जगह किया. तो यह leftist का पूरा structure था Jamia में भी, और मुझे लगा की हम लोग को एक तरह का “ism” जो है पढ़ाया जा रहा हैं और थोपा जा रहा हैं. शायद मैं अपने दुश्मन को खुद ढूँढ़ना चाहूँगी और मुझे बार-बार यह क्यों बताया जा रहा हैं की मुसलमानों के लिए और liberal  हिन्दू के लिए एक दुश्मन है और वह दुश्मन कौन हैं ? वह संघी लोग हैं .

MK: But how can you be liberal  अगर आप इस तरह की नफरत पूरे एक समुदाय के साथ रखेंगे ? Majority community के साथ इतनी नफरत करना है, तो liberal कहाँ हुआ? 

SI: दरअसल मैं अपने उस में sure हूँ जो मैं कह रही हूँ, जो मैंने अण्णा हज़ारे आंदोलन में देखा, निर्भया में देखा , लगातार रोजाना देखा, खबरों की खोज में देखा, खबरों की बारे में जो बताती थी बतौर anchor देखा की लोग बंटे हुए है. और आप अपने को अगर liberal मानते है तो आप actually एक बहुत ही एक illiberal  हैं.

MK: यह तो एक Fascist mindset हैं. आपको उन्होंने top कैसे करने दिया अगर आपके  regimented views नहीं है वाक्य्यी. 

SI: नहीं, नहीं क्योंकि यह बाकी syllabus का हिस्सा नहीं था. यह हमारा production था,  film production था, TV production था, AV था. तो यह उसका हिस्सा थी. उसमें graphics  भी आता था और बहुत सारे subjects थे. तो वह अलग-अलग उसका रहा. तो यह तो अलग से campus में बाते होती थी और सब teachers नहीं करते थे. दो-चार लोग थे जिनका बस  यही काम था. उनका बस यही काम था की बस यही बात करो. हाँ उसका जिक्र नहीं तालुक नहीं होता था हमारी syllabus से. की आप कैसे celluloid को use करेंगे, 16 mm को , cinema  को, लेकिन उसी तरह की cinema को promote करना और उसी तरह की … अरुंधति रॉय ने मुझे script writing पढ़ाई थी. जी, वह मेरी script writing की teacher  रही हैं. MS सथ्यू आते थे गरम हवा हमने देखी.

MK: अपने life का script तो उन्होंने इतना भद्दा लिखा हैं .

SI: बिलकुल और मुझे बिलकुल भी फिक्र नहीं है इस बात की , की उन्होंने मुझे script  writing  सिखाई . हालाँकि उनकी अंग्रेजी बहुत अच्छी हैं उनका tone और face बहुत अच्छा हैं लेकिन content  के तौर उसकी सच्चाई की तौर पर सब fiction ही  हैं .

MK: सच झूठ का उनको फर्क ही नहीं मालूम .

SI: Fiction में बहुत अच्छी writer है वह .

MK: नहीं एक ही किताब fiction की अच्छी निकली उसके बाद तो सब थप, कोई भी और किताब का कोई नामोनिशान भी नहीं मिला. 

SI: तो मैं anchor  बानी उसके बाद मैंने reporting  की बहुत साल, मैंने आपका भी interview लिया था पहले लेकिन Madhu Di को याद नहीं है खैर हम समझ सकते हैं.

MK: किस TV channel में थी आप ?

SI: मैं Zee में थी, The Woman नाम का एक program आता था जाया जेटली जी उसकी anchor थी और जो बहुत ही pioneers थी हमारी women leaders  उनमें से हमने आपका भी किया था और बहुत ही अच्छा रहा था. मानुषी मैं पढ़ती भी थी. और आपका एक  बहुत अच्छा एक लेख था जिसने मुझे बहुत influence किया – वह Arranged Marriages और Love Marriages पर था. आपको शायद याद नहीं होगा पर मुझे याद हैं. 

MK: नहीं, मुझे याद हैं. 

SI: उसकी सच्चाई की क्योंकि हम सोचते हैं की यह love marriage हैं लेकिन बाकायदा अपने ही caste, अपने ही class के हिसाब से सोच समझकर …

MK: नहीं. मैं तो कहती हूँ self-arranged versus family arranged. यह love marriage तो तब कहे जब शादी प्यार से निभे सालों साल तब love marriage हैं. यह क्या हुआ? You  want to get in to bed with somebody and you feel attracted या manipulate  करती हैं यह रईस बाप का बेटा हैं इसको पकड़ो और vice versa .   

SI: बिलकुल, फिर मुहब्बत हो जाती हैं .  

MK: वह नौटंकी करनी पड़ती हैं.

SI: उसकी family, उनकी गाडी, उनकी club membership को देखकर के मुहब्बत हो जाता हैं. फिर वह love marriage हो जाती हैं. 

MK: और बहुत जल्दी मुहब्बत का नशा भी उत्तर जाता हैं.

SI: तो मुझे बहुत ही अलग-अलग influences रहे हैं जिंदगी में. फिर मैंने anchoring शुरू करी. और मुझे लगता हैं की कोई भी एक “ism” में मुझे अपने को पाना बहुत मुश्किल था,  एक मेरे लिए एक बक्सा सा था. और एक बक्से में बंद हो जाना, क्योंकि मैं बक्से में बंद रही थी, आप समझ रही हैं ना? तो बक्से में बंद थी, तो अंदर से जो उसका ताला खुलवाया और तोडा उसको तो मैं किसी दूसरे बक्से में बंद होना नहीं चाहती थी. तो उसमें मुझे लगा की हर एक चीज़ को उसके merit के अनुसार और हर एक स्थिति को, हालात को देखूंगी और हर एक चीज़ का न एक पहलू हैं न दो पहलू हैं बल्कि उसके हज़ार पहलू हैं. और सच का सिर्फ एक ही पहलू हैं और उसका दो-दो versions नहीं  होते. तो यह लगा की objectivity बहुत जरूरी हैं. लेकिन मैंने यह Zee में देखा, फिर मैं आयी Star News में और मैं debut  anchor थी और बहुत ही अच्छे वह दिन थे. काफी वक़्त भी गुज़र गया था news में मेरा, बहुत बड़ी-बड़ी stories थी, और मुझे लगा यहाँ पर भी वही है . यहाँ पर भी दो हिस्से में लोग बंटे हुए हैं. या तो आपको left की तरफ होना हैं या right की तरफ होना हैं, जो दिमाग में बना हुआ हैं.

MK: It’s not just Shazia, left versus right. हर issue पर For versus Against, यह मैंने बहुत साल पहले इस पर लिखा था यह जो binary हैं वह आती कहाँ से हैं? जैसे हमारी school college में जो Oxford, Cambridge का debate style हैं न, you have debate For or Against the motion. यह इतना उज्जड तरीका हैं किसी भी issue को handle करने का; और मुझे याद हैं मैं अठारह साल की थी जब मैं Debating Society की Miranda  House की President बानी. सबसे पहले मैंने यह कहा, as Secretary तो मुझे उस धारणा में काम करना पड़ा For versus Against, पर जैसे मैं President बनी सबसे पहला मैंने काम किया यह Debating Society नहीं इसको हम Discussion Forum कहेंगे. और हर issue के nuances को explore करने की हमें freedom मिलनी चहिये. यह अठारह साल की अगर मेरा कोई public act था dismantle करने का तो शुरुआत यहाँ से हुई. तब-से मुझे बहुत ही भद्दा लगता था की आप को दे दिया For बोलना हैं तो आप कुछ भी ऊल-जलूल बके जाओ as long as you speak in the right accent and you are articulate तो ठीक है. और Against है तो कोई debate ही नहीं.

SI: देखिये इसमें कोई originality का scope ही नहीं हैं. आपका कोई तीसरा point of view  होगा, चौथा point of view होगा.

MK: नहीं. Shades of grey. Truth doesn’t come in one block like a brick or a glass. It comes in multiple shades and you have to be able to deal with it  and you have to deal with all those shades. So, anyway .

SI: It’s a cubist approach. Dimensionless, let’s be cubist about it let’s not have a point of view. 

MK: नहीं, नहीं. Point of view होना तो जरूरी हैं. 

SI: नहीं, नहीं. Let’s not judge everything.

MK: Not a frozen point of view. Without any precondition.

SI: And be ready to be changed. Be ready to be transformed. Be ready to  allow yourself for other facts to come in to inform you. You cannot get stuck  और मैं देखती हूँ आज लोग बिलकुल एक ideological warp  में अटके हुए है. निकल ही नहीं पा रहे हैं. एक ज़माने में Karl Marx पढ़ा था तो अभी भी अटके हुए हैं. 

MK: That is why I call myself a factarian.

SI: हम क्या चाहते आज़ादी, पूंजीवादी से आज़ादी, सामंतवाद से आज़ादी, वही चला आ रहा हैं तीस सालों से .

MK: यह तो नारे बाज़ी हैं.

SI: नहीं पर वही चला आ रहा हैं और उससे लोग निकल नहीं पा रहे हैं. और बड़ा fashionable  माना जा रहा हैं.

MK: पर Star TV में कैसे था यह? 

SI: Star News में anchor के तौर पर बहुत सारी चीज़ें नए तौर से की हमने. जब हम लोग दिखाते थे मुझे लगा की मेरा अपना जो experience रहा हैं महिला होने का, कानपुर से आने का, एक particular society में हमें उसका इस्तेमाल करना चाहिए. दो-तीन चीज़ें ऐसे हुई – एक लड़की थी Miss जम्मू रही थी वह और एक scam था. उसको बार-बार दिखाया जा रहा था उन दिनों. और दो-चार channel दिखा तो रहे थे. दो ही channel तो बड़े थे उन दिनों . 

MK: Suicide कर ली उसने . 

SI: Suicide नहीं की. एक sex scam था, उसका नाम लेना नहीं चाहूंगी और उसका नाम लिया जा रहा था बाकायदा. तो channels दिखा भी रहे थे की वह sex scam हैं और उसका नाम हैं और कह भी रहे थे गलत हैं. तो रात भर वह चल रहा था. तो हमने सोचा की इसको अलग तरीके से करना चाहिए. हमने कहा बार-बार उस लड़की का नाम लिया जा रहा हैं , कौन से मर्द है किसने उसका वह जो porn या blue movie का video हैं किसने बनाया? किसने distribute किया? किसने देखा? तो हमने पूरी conversation उस लड़की से हटाकर जो मर्द थे पूरे उसमें उन पर की. दूसरी चीज़, एक मुकंद case था. एक Mukand Nursing Home था उसमें एक ward boy ने बाकायदा rape करके एक nurse का…

MK: Book में डाली  ?  

SI:Bitter Chocolate जो लिखी गयी, Pinky ने लिखा. पर यह दिल्ली का केस था. और वह nurse को अंधा कर दिया था. और यह केस चला जिस दिन hearing थी मेरी बहुत young  दोस्त reporter थी court में और उसने कहा की शाज़िया, जब मैं anchor थी studio में, एक बड़ी अजीबो गरीब चीज़ हुई की Judge साहब के पास जो accused था आया और उसने कहा की मैं उस लड़की से शादी करने के लिए तैयार हूँ. और वह बड़ा उसके बारे में लिखा गया, और Judge ने बाकायदा सोचा भी, और Judge ने उसे consider किया. और अच्छा, court के खिलाफ तो कोई बोलता नहीं था. हमारी यह reporter वहाँ थी. तो मैंने as  an anchor कहा की बड़ी अजीब सी बात हैं, अगर Judge साहब की बेटी होती, उसका किसी ने rape किया होता, अंधा कर दिया होता, तो क्या वह शादी के लिए तैयार होते? और सारे खून माफ हो जाते? तो मतलब एक औरत की इज़्ज़त क्या सिर्फ जिस्मानी हैं? और मतलब वह है की एक चीज़ उस से छीन ली गयी और उसको वापस  इसलिए मिल जायेगी क्योंकि इसकी शादी हो गयी. हमने इस तरह की गहरे सवाल उठाये, क्योंकि हम लोग अलग तरीके से सोचते थे. और बाकी लोगों ने कहा, लेकिन बड़ी डाँट पड़ी हमें, लेकिन हमने  इन चीज़ों को अलग तरीके से करने की कोशिश की .   

MK: तो आप में यह politics का कीड़ा कैसे लगा?

SI: UPA2 के मामले लगातार आखिरी की जो तीन साल रहे है, रोजाना मेरा वक़्त बतौर anchor सिर्फ एक पर्दा फार्श, एक खुलासा और दूसरा खुलासा और तीसरा scams का रहा हैं. और इतने ज्यादा थे और मुझे लगता था की हम यह क्या कर रहे हैं. और मुझे लगता था की और चीज़ों की तो बाते होती हैं पर यह समझना की, मुसलमान जो हैं सिर्फ communalism  की बात करेंगे और किसी और चीज़ की बात ही नहीं करेंगे. मैं क्यों नहीं governance की बात कर सकती हूँ? मैं क्यों नहीं corruption की बात कर सकती हूँ? मैं क्यों नहीं बात कर सकती हूँ मुसलमान को votebank की तरह इस्तेमाल होने की ? मुझे इस से बड़ा बेवकूफी लगी की हम मुसलमान मतलब कोई हमें इस्तेमाल किया जा रहे हैं. एक political slavery  बन गयी हैं. यह सियासी गुलामी जो बन गयी हैं न के हम secular party के साथ ही रहेंगे भइ, हमें BJP से नफरत करना हैं और जो भी पार्टी BJP को गाली बकेगी हम उसके साथ चल पड़ते हैं .

MK: हाँ तो यह secularism की परिभाषा, यह विकृत परिभाषा की BJP को गाली दो आप secular हो चाहे आप गुंडे हैं, मवाली हैं, rapist  हैं, ब्रष्ट हैं, mass murderer हैं; जो Congress Party में भरे पड़े हैं mass murderers. 

SI: Criminal charges हो और corruption इतना बड़ा मामला हैं इसके वजह से आप सोचिये, human rights issue हैं. जब medical scams होते हैं  बड़े-बड़े, medical officers मारे जाते हैं. जब खनन माफिया होता हैं आम लोगों की ज़िन्दगी जाती हैं . जब सरकार का पैसा और जो tax payer का पैसा इसको लेकर नीलामियां होती हैं, और उसको लेकर पैसा जब्त किया जाता हैं तो आम इंसान ही तो suffer हो रहा हैं? तो मुसलमान भी तो आम इंसान ही हैं ना? तो हिन्दू भी तो आम इंसान हैं ना ?

MK: शाज़िया मैंने पहले भी सवाल पूछा था की यह politics का कीड़ा क्यों लगा आपको और कैसे लगा? क्योंकि आप एक तरफ इतने scams cover कर रही थी. आप खुद ही बता रही थी – आये दिन नए scams हर party से जुड़े हुए. तो ऐसे में आम आदमी का तो reaction  होता है, भाई दूर रहो यहाँ सिर्फ गन्दगी हैं. आपने क्यों कूदने की सोची ?

SI: देखिये उन दिनों एक अदना सा एक movement चल रहा था और बहुत ही छोटी – मोटी सी खबरें आती थी. जंतर मंतर से जब अण्णा हज़ारे ने पहली बार एक आंदोलन किया और वह वहाँ बैठे. और मुझे लगा की news  की दुनिया में मैं बहुत व्याकुल हो रही थी, बहुत बेचैनी थी. बहुत ही typical राय था की कांग्रेस अपना पक्ष रख देगी, विपक्ष अपना कह देंगे और ज़िन्दगी ऐसे ही चलते रहेगी. मुझे लगा सिर्फ एक commentator बनकर, अच्छे – अच्छे कपडे पहनकर बहुत पैसे कमाकर और रोजाना यही काम नहीं करना हैं. मुझे लगा मुझे कुछ करने की ज़रूरत हैं. मेरे अंदर एक व्याकुलता थी. और मेरी एक spiritual journey भी शुरू हो गयी थी. मैं आध्यात्मिकता में बहुत ज्यादा जुड़ गयी थी. और मुझे अपनी दुनिया में  कुछ खालीपन लग रहा था. और बहुत से लोगों ने कहा की आप बहुत ही बेवकूफी कर रही हैं क्योंकि बहुत ही prestigious माना जाता हैं, क्योंकि आप film maker हैं, executive producer हैं, anchor हैं, वह सब को छोड़कर आप छोटा सा movement इसमें आप कुछ हैं भी नहीं और आप अदना सी सिपाही हैं उसमें. उस movement का ही पता नहीं वह बड़ा movement भी होगा की नहीं . तो मैंने उस दौर पर एक बड़ी अच्छी खासी public profile को छोड़कर मैंने सोचा, अरविन्द और प्रशांत जी को मैं जानती थी RTI के दिनों से की मैं कुछ करती हूँ, और मुझे कुछ करने का मौका मिलेगा .

MK: पर आपने उसको कहा अण्णा हज़ारे movement. आप मानेंगी क्योंकि मैंने इसको बहुत close से उसको observe किया, Anna Hazare was only brought in as a face, a  puppet, let’s face it. उस movement को जो mass base मिला, we know it very  well एक तो  श्री श्री Art  of  Living Group का, बाबा रामदेव जी. मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि सबसे पहले पटाने का काम अरविन्द ने श्री श्री को किया था. इनकी press  conference जो पहली हुई थी उसमें कही अण्णा हज़ारे का नाम भी नहीं था. और उनके volunteers आपके सारे man करते थे counters, लोकपाल का पूरा गीत. उसके साथ बाबा रामदेव, उनके पाँव पकड़कर अरविन्द केजरीवाल बाबा रामदेव को लेकर आये movement में. उन्होंने बहुत सारा mass support लाया. 

SI: और बादमे कैसे उनको तिरस्कृत करके निकाला.

MK: वह बाद में करते हैं. नंबर दो – धन वगेरा भी इन सब ने लाया. और तीसरा RSS. सब को मालूम हैं mass base श्री श्री रविशंकर, बाबा रामदेव और RSS की थी. और फिर अरविन्द ने बहुत समझदारी से कभी मेधा पाटकर को ला कर खड़ा कर दिया, कभी किसी और को लाकर खड़ा कर दिया, ताकि leftist credentials बानी रहे. शुरू में आपको याद होगा भारत माता की पीछे फोटो होती थी. और झंडे चलाये जाते थे. एकाएक भारत माता भी गायब हो गयी. तीसरा, अरविन्द ने बहुत शातिरता से श्री श्री को मंच में आने से literally मना किया, उतारा. 

SI: बाबा रामदेव को बोलने नहीं दिया .

MK: बाबा रामदेव के आंदोलन को तुड़वाया कांग्रेस के साथ मिल के. जब रामलीला मैदान में बाबा रामदेव बहुत बड़ा आंदोलन कर रहे थे तब literally कांग्रेस से मिलकर इन्होंने तुड़वाया, वहां पर लाठियां चलवाई, मर जाते उस दिन बाबा रामदेव. और RSS को तो तिरस्कृत करना पहले दिन से ही उन्होंने शुरू कर दिया था. They did not want to own up. So, यह असली face था और साथ में श्री श्री रवी शंकर की वजह से Times of India ने, Times  Now channel को 24×7 रामलीला मैदान पर खड़ा कर दिया. तो Times Now आया तो सारे TV channels आ गये. जब सारे TV channel आ गए तो रामलीला मैदान literally  picnic spot बन गया. सब जा रहे हैं बच्चों को कंधे पर उठाकर शाम को चल रहे हैं. क्योंकि शायद हमारा भी दो minute live TV पर आने. 

SI: और कांग्रेस ने अण्णा हज़ारे को जेल में बंद कर दिया .

MK: अरविन्द को कभी नहीं पकड़ा, अण्णा हज़ारे को पकड़ा, वह भी दरकिनार. In any case, you see he was a mindless person. He wasn’t even very bright. और वह मुंह खोलते तो … 

SI: बहुत सीधे साधे इंसान हैं . 

MK: सीधे साधे हैं पर उनको ग़लतफ़हमी हो गयी की यह movement मेरी हैं. तो इसलिए उन्होंने अपना काफी उपहास भी बनाया जब मुंबई में बैठ गए थे fast करने .

SI: नहीं, वह अरविन्द का plan था . 

MK: था ना? की मरे किसी तरह से.

SI: जी, मैं आपको बताती हूँ, मेरे सामने की वह बात हैं, बल्कि मुझे रोका भी और मेधा पाटकर ने मेरा हाथ ऐसे मोड़ा भी उस वक़्त. मैं भूल नहीं सकती हूँ उस बात को. बहुत बुरी हालत हो रही थी अण्णा हज़ारे की .

MK: बिलकुल. 

SI: और बाकायदा joint session Parliament का हो भी रहा था , बात ये मान रहे थे . लेकिन हम बार-बार goal posts बदल रहे थे. और जो Class IV employees की बात थी, मैं सारी आपको details भी आपको बता सकती हूँ. हमने कहा यह अपने आप में काफी हैं , घुटने टेके थे Parliament ने और अण्णा की हालत बहुत खराब हो रही थी. अण्णा के महाराष्ट्र से सब लोग आये थे. उनके साथ के लोग वह बहुत परेशान थे, गुस्से में थे. और मैं बहुत परेशान हो रही थी. हम दो- तीन लोग परेशान थे. हमने कहा अण्णा बचेंगे नहीं बुरी हालत हैं. बार -बार लोग कह रहे थे. तो अरविन्द ने और मेधा पाटकर ने ऐसे हाथ पकड़कर कहा – चुप रहो, be quiet, एक-दो दिन की बात और हैं. हमने कहा, he will  go, we will lose him.  अरविन्द को बोला let’s not push it, यह बहुत खतरनाक हो रहा था. 

MK: He would have been happy. अरविन्द would have been happy. 

SI: वह खतरनाक खेल हो रहा था वह brink में जा रहा था. अण्णा को भी थोड़ा बहुत realisation हुआ. क्योंकि लोगों ने कहा, आप भी जानते हैं अंदर-अंदर काफी फिर दिक्कतें रही . तो मैं आपको बता रही हूँ की उस वक़्त भी जब कहा जाता था “भारत माता की जय” और झंडे की बात होती थी, तो तब मैं करती थी. तब भी मेरे बारे में लिखा जाता था . क्योंकि मैं वाहिद में वहाँ पर अकेली एक मुसलमान होती थी. और मुझे तब भी जब अण्णा हज़ारे movement में हम लोग बाकायदा corruption की बात करते थे जो अरविन्द को और लोग help करते थे सारी stories के साथ, उसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं किया. आप यकीन नहीं करेंगी बाकायदा तीस्ता सेतलवाड़ जैसे लोग मुझे बोलते थे की तुम तो मुसलमान हो तुम communalism की बात क्यों नहीं कर रही हो? तुम्हें corruption की बात क्यों करनी हैं ? मैंने कहा मेरी मरज़ी, आप लोग कर रहे हैं ना communalism की बात देश में, मुझे यह करने दीजिये. मुझे लगता है corruption एक बहुत बड़ा evil हैं और यह party  जो लगातार काबिज रही हैं उसने क्या कर दिया हैं ? सब कुछ लूट लिया हैं आम लोगों का .  

MK: नहीं , हिन्दू- मुसलमान के बीच की खायी बढ़ाने का काम कर रही हैं तीस्ता सेतलवाड़ की politics.

SI: मैं ज़िन्दगी भर क्यों गोधरा गुजरात की बात करूँ ?मैं क्यों नहीं education की बात करूँ? मैं मालिआना-हाशिमपुरा की बात ना करूँ, मैं नेल्ली की बात ना करूँ जहाँ कांग्रेस रहा हैं, मैं सिख riots की बात ना करूँ. मैं सिर्फ गुजरात riots की बात करूँ. उसमें selectivism आप देखिये .

MK: One second Shazia. गुजरात riots की अगर बात करनी हैं तो ईमानदारी से नहीं करनी हैं. नहीं, उसमें दो बाते हैं चलिए अगर आपकी हिम्मत हैं अगले बीस साल तक गुजरात की riots  की बात कीजिये, गोधरा की बात कीजिये और ईमानदारी से बताइये गुजरात riots में कांग्रेस का prime role था दंगा भड़काने में और वह जो train जलवाने में.

SI: पूरा narrative, जब मैं उसकी बात कह रही हूँ – जिस तरह से वह पेश करना चाह रहे थे अपना narrative उसकी मैं बात कर रही हूँ . और उनके ढंग की मैं बात भी नहीं कर रही हूँ. और वह भी आप ठीक से करते तो आपको बहुत सारी और बाते पता चलती. और अब देखते सबसे ज्यादा अगर convictions हुए हैं  किसी भी दंगों में, तो वह गुजरात में हुए हैं. और सबसे ज्यादा अगर कोई senior Ministers गए हैं, MLAs गए हैं jail में, और top लोगों तक गए हैं ,बार-बार cases खुले हैं तो सिर्फ गुजरात में. 

MK: उसमें बहुत से मासूम भी जेल में गए हैं. Let’s not forget that. इतने झूठे इलज़ाम लगाकर बहुत से मासूमों को भी फसाया हैं. और एक और बात हैं , अब जैसे माया कोडनानी के ऊपर बिलकुल झूठा केस हैं 100 %. उसको death penalty हो रही थी और तीस्ता के conscience पर छू भी नहीं लगेगी.

SI: और ज़हीरा  शेख के साथ क्या किया तीस्ता ने ?

MK: बिलकुल.

SI: और इशरत जहाँ की कहानी अब पता चल रही हैं. देखिये मैं आपको बता दूँ, as  an  anchor also, इशरत जहाँ की story मेरे पास आयी. मैं एक anchor हूँ, मैं जानती हूँ मैं मुसलमान हूँ, मैं जानती हूँ की मैं एक मौलाना की बेटी हूँ. लेकिन मैं anchor हूँ उस वक़्त और सच बोलना मेरा काम हैं. और समझना भी क्योंकि मैं intelligent भी हूँ. मैं बेवक़ूफ़ नहीं हूँ  और न बेवक़ूफ़ बना सकती दुनिया मुझे . मैं सोच रही थी इशरत जहाँ एक लड़की हैं रात में जा रही हैं यह कहानी सुनी, चार मर्दों के साथ, वह भी history sheeters. और वह क्यों जाएगी मुझे समझ में नहीं आ रहा था . मुझे बिलकुल यकीन नहीं आ रहा था उनकी story  में . तो मेरी भी तो अकल कही न कही हैं न? क्योंकि मैं जितनी भी ideologically किसी के साथ जाऊं, खुद भी तो अकल  इस्तेमाल करूँगी. मुझे वह story तब भी नहीं पची . तब तो मेरा कोई लेना देना नहीं था BJP से. तो मैं उन लोगों में से हूँ खैर. Anyway, अण्णा हज़ारे के आंदोलन में भी इतना बुरा भला सुनने को मिला की यह तो RSS वलों का हैं. मैंने कहा RSS वाले या जमात वाले कुछ अच्छा करना चाह रहे हैं देश में, corruption को हटाना चाह रहे हैं ,मुझे उस वक़्त यकीन था की कोई अच्छी चीज़ हो रही हैं हमारी देश में, तो स्वागत है सब का. तब से मैं सुन रही हूँ, तब से मेरी असली नफरत इन लोगों की शुरू हुई . इन लोगों से पहले क्योंकि, न मैंने  खुद के घर से न पति के न पिता के घर से, बल्कि मेरी दीदी,  सबसे  बड़ी बहन जिनसे ब्याही हैं उनका नाम हैं आरिफ मोहम्मद खान . तो मैं बहुत छोटी हूँ घर में अपने. आप यकीन नहीं करेंगी मैं St Mary’s Convent जाती थी, Xth में थी जब शाह बनो केस का मामला चल रहा था. अब्बा का अखबार और रिश्तेदारी तो थी ही आरिफ साहब से. और आप यकीन नहीं करेंगी जिस तरह की धमकियाँ, जिस तरह से हम लोग को kidnap करने की कोशिशें और जिस तरह से घर को जलाने की कोशिशें मुसलमानों ने की हैं.              

MK: अभी इसका background दे दे. आरिफ मोहम्मद खान जो अभी मौजूदा Governor है Kerala के वह कांग्रेस पार्टी में थे जब यह शाह बानो case Parliament  के सामने आया. Supreme Court ने judgement  दिया था शाह बनो के favour में और अदना सी उसको maintenance दी थी और कांग्रेस पार्टी ने उस सुप्रीम कोर्ट की फैसला को रद्द कर दिया.

SI: 72 साल की बूढ़ी औरत को 350/- रुपए  मिले थे .

MK: 350/- नहीं 150/- रुपए.

SI: 150/- रुपए उसे महीने का देने के लिए आपने Islam को खतरे में दाल दिया और Muslim Personal Law Board ने पूरी तरह से Rajiv Gandhi के सामने पूरा agenda को hijack कर लिया. और राजीव गाँधी ने Supreme Court के फैसले को किस  तरह से बदला. कितना बड़ा विश्वास घात हुआ.

MK: और एक व्यक्ति खड़ा हुआ और वह थे आरिफ मोहम्मद खान जिन्होंने उस फैसले के बारे में कहा, की मैं उस फैसले को Parliament में support कर चूका हूँ शाह बनो का, और इसलिए मैं वापस नहीं जाऊंगा जब इन्होंने यह कानून लाया और उन्होंने इस्तीफा दिया कांग्रेस पार्टी से .

SI: और मेरे ख्याल से सिर्फ 32 साल की उम्र थी उनकी तब .

MK: 32 साल, and he was a Minister .

SI: Yes. He was a Minister.

MK: That’s right so he resigned और आप उनकी रिश्तेदार हैं. आपकी बहन उनसे ब्याही हैं.

SI: जी, इस वजह से हमने देखा आरिफ भाई साहब के साथ क्या कुछ होता रहा, किस तरह के attacks रहे. मुसलमानों से किस तरह से हमारे अब्बा के ऊपर, अम्मी के ऊपर, हम लोग की ऊपर हमारे ऊपर हमारे क्लास में जो और Muslim लड़कियाँ थी college में, क्या-क्या सुनने को मिला. मैं वही सोचती रही की वह जो बात हैं वह तो जायज़ बात हैं जो एक बूढ़ी औरत के छोटे से पैसे के लिए, जिसके चार बड़े-बड़े बच्चे हो और उसका शौहर बस उसे छोड़ देता हैं और उस पैसे को भी उसको हक़ नहीं हैं की वह अपनी जिंदगी dignity के साथ जिए. यह इस तरह के इस्लाम को तो मैं नहीं समझ सकती हूँ और ना ही मुझे समाज में आता हैं, और न ही वह इस्लाम समझ में आता हैं जो यह समझा रहे हैं. तो मैं बहुत छोटी थी लेकिन मुझे मालूम था कांग्रेस के तरफ मैं कभी नहीं हो सकती थी. मैं 12 साल के उम्र में मुझे यह बात मालूम थी की यह लोग जो हैं, इन्होंने ऐसे चीज़ की हैं जो इनसानियत के खिलाफ, महिलाओं के खिलाफ और कुरान शरीफ के खिलाफ भी, इस्लाम के खिलाफ भी यह गलत चीज़ हैं. और जो शरीफ लोग हैं यह उसके लिए party नहीं हो सकती, यह मेरे अंदर में था. 

MK: UP का मुसलमान तो जानता हैं कितने दंगे करवाए कांग्रेस ने साल दर साल .

SI: बिलकुल, हर वक़्त दंगे होते रहते थे लगातार. तो मैं वहां से आती हूँ. देखिये यह मेरा background हैं. हालाँकि घर में सब लोगों ने अण्णा हज़ारे movement को भी support नहीं किया. तो मैं अपने independently चली और आरिफ साहब खुद भी out of power रहे हैं. 

MK: उन्होंने शायद नहीं support किया. आरिफ साहब वह पहले ही शातिर हैं, समझ गए  की यह जो बरसाती मेंढक हैं, यह बहुत opportunists हैं. आपका क्या अनुभव था आम आदमी पार्टी में? क्यों निकली इतनी जल्दी?

SI: देखिये, आदर्श वाद और बेवकूफी के बीच में एक बारीक सी एक लकीर होती हैं. I  think  there is a thin line between idealism and stupidity. और मुझे लगता हैं की मैं बहुत बुरी तरह से न सिर्फ बेवक़ूफ़ बानी हूँ, अरविन्द केजरीवाल इस century का सबसे बड़ा conman हैं. और जिस यकीन से, जिस निष्ठा से, जिस संकल्प के साथ मैं गयी थी, मैं कूदी थी की मैं कुछ अच्छा करने जा रही हूँ , मैं खुद से शर्मसार होती हूँ  अपनी ही बेवकूफी से  मैं क्यों यकीन करती थी. आप समझ नहीं सकती मधु दीदी, क्योंकि मैं अंदर से थी. क्योंकि मैं राखी बांधती थी अरविन्द को. आप जानती नहीं हैं मैं जो-जो चीज़ें जानती हूँ. मैं उस तरह की हूँ जो बाते बाहर करने की आदत नहीं रही हैं as a पत्रकार भी. आप जानते नहीं हैं कितना बड़ा मेरे लिए सदमा था यह इंसान अपने को जो कहता हैं यह उसका बिलकुल opposite हैं. 

MK: उदाहरण दीजिये . 

SI: जैसे की, कांग्रेस से जैसे यह मिले. अंदर – अंदर कांग्रेस  के साथ जो understanding  थी. 

MK: कांग्रेस से पैसे लिए.

SI: जी, बिलकुल .

MK: संदीप दीक्षित ने जिस रात को ढाई crore एक bag  में इनको खुद सौंप के आये थे, उसी दिन ही यह खबर आयी थी .

SI: कांग्रेस party की बेवकूफी देखिये उनको लगा अरविन्द को पटा लेंगे तो BJP, क्योंकि ये लोग भी भारत माता की जय कहते हैं और वह लोग भी भारत माता कहते हैं, ये लोग भी कांग्रेस के खिलाफ बोलते हैं और वह लोग भी कांग्रेस के खिलाफ बोलते हैं तो यह उनकी B-Team बन जायेंगे. लेकिन कांग्रेस ने खूब पैसे से, strategy से उनके लोग वहां कायदा हैं. Main election strategists AAP के वह कांग्रेस से आये . 

MK: बिलकुल.  

SI: उनका नाम पंकज हैं  जो बाकायदा वहां से आये हैं. पंकज जी मुझे याद हैं, और मुझे नाम नहीं याद आ रहा हैं. लेकिन वह main strategists वही से आये हैं. खैर, हुआ यह की कांग्रेस ख़त्म हो गयी और यह आ गए. और तो उन्होंने, जब तक शीला दीक्षित को हराना था और दिल्ली में ताबीज़ होना था तब तक UPA की बहुत बुराई की, शीला दीक्षित की बुराई की, सोनिया गाँधी की बुराई की, सलमान खुर्शीद की बुराई की. हर एक मंत्री की बुराई की और न ही Batla House encounter क्या ज्यादा जिक्र किया अब बहुत करते है, अमानतुल्लाह तो खैर आप ही के MLA है तो आप सब कुछ जानते ही होंगे.

MK: मेरे MLA नहीं हैं. मेरे constituency के मला हैं. मैं तो तौबा-तौबा !

SI: आपकी constituency के, आपका ही सौभाग्य हैं. तो खैर, तो मैंने देखा अरविन्द किस तरह से खेलते थे चीज़ों को. और जब उनको मुसलमान का साथ चाहिए तो में लखनऊ गयी, मैं फिरंगी महल वलों को, नदवा से लोगों को लेकर आयी, बरेलियों को मैं लेकर आयी. तो वह लोगों को इस्तेमाल करना जानता था. तो जब मुसलमानों में बात करनी होती थी तो Yediyurappa का जिक्र कर देता था. जब यहाँ पर बात करनी थी तो औरों का जिक्र करते थे. तो अरविन्द was very smart. अरविन्द played that game very well. तो लोकपाल का सिर्फ इस्तेमाल किया. लोकपाल में कोई न रुचि था न corruption को हटाना था, सबसे corrupt लोग तो उन्हीं के पार्टी में आ गए बाकी सब पार्टी में से. तो वह तो आपने देखा ही. और जो Chief Secretary को चुनकर लाये थे उसपर वैसे ही corruption के cases थे , और वह भी Commonwealth के.

MK: जिसका सबसे ज़्यादा भुनाया शीला के खिलाफ. Sheila Dikshit was one of the  best Chief Ministers despite corruption cases against her. इसमें दो राय नहीं है की अगर किसी ने दिल्ली को एक नया रूप दिया हैं तो शीला दीक्षित ने दिया. हालाँकि उनके साथ वाक्य्यी बहुत से corruption scams जुड़े. पर उसमें काफी लोग शामिल थे .

SI: आरिफ साहब यह ही कहते थे की तुम लोग यह कह रहे हो न ‘अगर फिर से शीला आ गयी तो होते रहेंगे rape’ इस तरीके की बातों से बचो. थोड़ा कायदे से ज़बान को use करो. Political opponents के लिए भी थोड़ी शालीनता दिखाओ. और यह shoot and scoot न करो. लेकिन, मैंने तो बात मानी नहीं. मैंने तो उनसे और सबसे लड़ाई झगड़ा करके कूद गयी थी. 

MK: मुझे याद है शायद आप पार्टी में थी नयी-नयी आपने जब मुझे अपने घर खाने में बुलाया था. और उस रात शायद हमारी 3-4 घंटे हमारी बात हुई. उसमें सारी बात का सार यही था, आपने मुझ से कहा, मधु दी यह बहुत गलत काम कर रहे है, please आप समझाइये न अरविन्द को, please हम लोग कुछ  मिलके समझायेंगे न. I was struck by your naivety  and I told you, एक – की मैं कौन होती हूँ समझाने वाली, वह तो शायद अपनी पिताजी की भी बात ना माने. उसके अगर कोई मई-बाप है तो Ford Foundation हैं उसके मई-बाप global networks के हिस्से हैं. See he is not just operating on the strength  of  support base in India. It is very clear now that इसका support base शुरुआत जिस आदमी की Ford Foundation से हैं. और Ford Foundation ने जिस किस्म का illegal support दिया as an Income Tax officer उसको they gave him money. 

SI: देखिये, अण्णा आंदोलन के दौरान इतना पैसा आया हैं, यही अण्णा हज़ारे भी कहते थे की वह पैसा कहाँ जा रहा हैं. हम लोग खुद इकट्ठा करते थे, इतना बेहिसाब पैसा आया हैं . मैं बताऊँ आपको आम आदमी पार्टी में अरविन्द की बहुत demand होती थी. अरविन्द busy रहते थे और मैं जाती थी funds के लिए. मैं इंग्लैंड भी गयी, मैं दुबई भी गयी हूँ. किसी एक को साथ में भेजते थे. यह देखिये चालाकी के तरीके, मैं अपनी speech भी देती थी, epitome of  बेवक़ूफ़ियत मुझे बोल सकते हैं. एक और बंधा होता था और क्योंकि वह लोग residents  होते थे UK  के और आप पैसा नहीं ले सकते थे, तो इंडिया में कुछ लोग के नाम होते थे तो वह Western Union से पैसा भेजते थे इन लोगों को. 

MK: हवाला.

SI: हवाला नहीं. Western Union.

MK: देखिये, हवाला इसलिए क्योंकि किसी खाते में नहीं गया . 

SI: नहीं, नहीं. उन लोगों को direct देते थे और वह लोग फिर AAP को देते थे और AAP कहती थी की पैसा इंडिया से आयी हैं. तरीके देखिये यह बहुत शातिर दिमाग थे. धीरे-धीरे बाते मुझे पता चली. और कांग्रेस के साथ बाकायदा साथ गाँठ थी. फिर कांग्रेस के साथ सरकार भी बनायी. तो वह पूरी credibility चली गयी. पर हम लोग तो कांग्रेस के corruption से लड़ रहे थे ना? और जब लोक सभा elections आने लगे तो मोदी जी बुरे हो गए. अब तक तो कांग्रेस बुरी थी, corruption बहुत बुरी चीज़ थी. अब communalism की बाते करने लगे. लोकपाल हम लोग भूल गए और सारी, पूरा-पूरा मुद्दा, pivot ही बदल गया. 

MK: VIP culture के खिलाफ थे. मैं सरकारी घर, बँगला नहीं लूंगा, वगेरा, वगेरा. मगर अब देखिये सबसे बड़ा बँगला शायद इन्हीं का है दिल्ली में. परन्तु देखिये मैं एक और बात इस आम आदमी पार्टी और India Against Corruption के बारे में बोलना चाहती हूँ. एक तो यह हैं की अरविन्द की शातिरता, but I think उसके पीछे जो और शातिरता हैं वह कुछ foreign  powers की हैं. यह मैं इसलिए कह रही हूँ, Ford Foundation का मैं बड़ा हाथ मानती हूँ क्योंकि Magsaysay Award दिलवाया जब Ford Foundation ने अरविन्द को RTI के लिए. Do you know, वह जो citation हैं उनकी अपनी website पर, citation में क्या अफलातूनी किया अरविन्द ने जिसके लिए Magsaysay मिला? Do you know that? 

SI: No. 

MK: The citation is only able to mention that अरविन्द केजरीवाल ने जो सबसे बड़ा जो glorious काम किया बल्कि इकलौता glorious काम – 2000 RTI applications फाइल की लोगों के behalf पर. अब आप मुझे बताये करोड़ों रुपया लिया इन्होंने और इधर-उधर बस्ती में लोगों के behalf पर RTI applications फाइल कर दी. उस RTI applications का क्या अंजाम हुआ, कुछ निकला, नहीं निकला उसका कोई फायदा हुआ, मतलब 2000 RTI applications when you have a whole army of  workers, volunteers, be  it  staff funded by Ford and many others, यह क्या बड़ी उपलब्धि है ? और कितनी जल्दी इनको promote किया और मैं सोचती हूँ की आम आदमी पार्टी का जो formation हैं यह पहली बार है की किसी foreign funding agency ने, they have tasted blood की हम State power directly भी कब्ज़ा कर सकते हैं अपने गुर्गे बिठाके and he is a good  example.  

SI: मधु दी, कानपुर में एक दुकान हैं ‘ठग्गू के लड्डू’ और उसमें बाकायदा हैं : ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसको मैंने ठगा नहीं’. तो आप देखिये IIT से लेकर, IRS से लेकर, Mother  Teresa से लेकर, RTI से लेकर, अरुणा रॉय से लेकर , तो उन्होंने लगातार यह ही काम किया. फिर दिल्ली वलों को भी ठगा, पूरी दुनिया भर घूमे, पूरे पंजाब गए, गोवा गए फिर वापस दिल्ली आ गए. 

MK: नहीं, और अरुणा रॉय से इनका सबसे पहले जो टकराव हुआ या उनके साथ जो टूटना हुआ इस बात पर I am a witness to that. Because, अरुणा की भी मैं दोस्त थी और इनकी भी थोड़ी बहुत थी. यह बहुत खफा हो गए की NAC में सोनिया गाँधी की National  Advisory Council  में इनको नहीं लिया गया. और National Advisory Council में नहीं लिया गया तो उन्होंने parallel organisation शुरू कर दिया. अच्छा RTI  का भी सुनिए और Lokpal Bill का भी. I am witness to that also. कई meetings भी मैंने Lokpal  की attend  की. Draft  जो बना, Drafting Committee अरुणा रॉय और यह NAC  वाले  बना रहे थे. और अरविन्द ने कहा की मैं इसका final  बनाकर लता हूँ. वह अरुणा रॉय और सारा NAC gang, PUCL वगेरा, देखते रह गए. इन्होंने parallelly अपना शुरू कर दिया ‘परिवर्तन’ के नाम से या जिस के नाम से.

SI: Parivartan और Kabir Foundation दो NGOs हैं इनके. 

MK: They were quite shocked that he ran with the draft that they had  collectively prepared to say अब यह इनका ownership हो गया. और he left them  far behind. और फिर वह धुनाई इसने उनकी सब की और कांग्रेस की भी की. हालाँकि कांग्रेस के पैसे से की, you are right.

SI: देखिये lift करने में अरविन्द केजरीवाल होशियार हैं. एक दिन मैं बताऊँ , मैं बड़ी अपनी आँखों में सितारे आदर्श वाद के लेकर बैठी थी की हम लोग बड़ी-बड़ी चीज़ें कर रहे हैं . मैं तो बड़ी emotional थी इसको लेकर. सब लोग मेरी मज़ाक उड़ाते हैं, वह खैर अलग कहानी हैं.

MK: तुमने मुझ से भी काफी बहस की, इसको लेकर. 

SI: बहुत, सबसे बहस की, किससे नहीं लड़ी मैंने ? मैं भी तो हूँ ना परम बेवक़ूफ़. तो हम बैठे थे मुझे याद है, stage था और यह अण्णा हज़ारे का movement का था मैं अरविन्द का बता रही हूँ छोटी सी बात हैं. मैंने अरविन्द से emotional होकर बिलकुल कहा, अरविन्द आपको लगता नहीं हैं की हम लोग जब freedom struggle हो रहा होगा, हम लोग भी स्वतंत्रता सेनानी रहे होंगे? और अभी हम लोग का नया जनम हुआ है. नया भारत की तरफ हम लोग बढ़ रहे हैं. अरविन्द ने कहा, हम लोग पता नहीं रहे होंगे. मैंने कहा, अरविन्द जी मुझे ऐसा लगता हैं की हमारा फिर से जनम हुआ हैं, कुछ हमको करना हैं, हमारा slogan था ना – ‘पहले लड़ते थे गोरों से अब लड़ेंगे चोरों से ‘ तो मुझे लगा हम लोग कुछ नया चीज़ अच्छी चीज़ कर रहे हैं. अरविन्द ने कहा, हाँ. अरविन्द ने pretend किया जैसे ज्यादा ध्यान नहीं दिया. पर आप यकीन नहीं करेंगी, मैं ऐसी बैठ गयी बहुत ही आँखों  में सितारे भरकर आदर्शवाद की मैं  क्या कर रही हूँ , बेवकूफों की तरह और फिर अरविन्द बोलने लगे, अरविन्द ने मेरी बात को stage पर कहा. अरविन्द ने कहा मैं सोचता हूँ कभी-कभी की जो लोग बैठे हैं मेरे आस पास हम लोग और आप लोग. हम लोग जो भारत की पहली लड़ाई थी स्वतंत्रता की उसमें हम लोग थे और हम ही लोग थे जिन्होंने भारत के लिए लड़े और फिर से हमारा जनम हुआ हैं, इसलिए यह हमारा फ़र्ज़ हैं, देखिये हम लोगों को. मैंने कहा यह तो मेरी line ले रहा हैं पूरी मेरी line shop कर दिया. मुझे तो गुस्सा आया. तब से लगने लगा की कुछ मामला हैं इसमें. लेकिन बहुत ज्यादा invested हो गयी थी मैं इसमें. मुझे लगा कुछ होगा औरों से बेहतर होंगे. लेकिन पूरे ही तरह से हट गए. और आपने हमसे पूछा मैं politics में कैसे आयी. Politics  बिलकुल मेरा field ही नहीं था. मैं तो transformation की राजनीति, transformation की communication में हमेशा से रही हूँ. और activism में थी. अण्णा हज़ारे movement मेरे लिए बहुत एक leap of faith था. बेवकूफी आप उसको कहिये चाहिए. लेकिन मैंने जब देखा की यह एक party बन गयी हैं और सब लोग पार्टी में आ गए थे. अण्णा हज़ारे अलग-तलग हो गए तो मैंने उसी का रुख किया और अरविन्द ने मुझे आम आदमी party में primary member बनाया. तो I am an accidental politician. क्योंकि मुझे भी नहीं पता था की पार्टी बन रही हैं . मुझे तो यह भी नहीं पता था की छोटा-सा एक जंतर मंतर वाला movement राम लीला मैदान में इतना बड़ा movement होगा की लोग उसकी बाते करेंगे.

MK: But if I could tell what are the forces behind Arvind. 

SI: मैंने कसम खायी हैं TV पर, Deepak Chaurasia anchor थे, और Star  News  जहाँ पर में पहले एक जमाने में anchor थी, अब ABP News हो गया हैं, उन्होंने पूछा आप बताइये की आप कभी politics join करेंगी की नहीं? तो मैं बड़ी सच्ची हूँ  झुट मुझ से नहीं बोला जाता, देखिये मैं अपने बारे में तो नहीं कह सकती, पर मैं शायद join करूँगी लेकिन मैं कसम खा के कह सकती हूँ की अण्णा और अरविन्द भाई कभी नहीं करेंगे. सोचिये मतलब मैंने अपने आप को तो बिलकुल down कर दिया और उनको क्योंकि मुझे यकीन था अरविन्द का, की नहीं राजनीति बड़ी ख़राब चीज़ हैं. फिर सब ने decision ली उन्होंने कुछ study भी की . 

MK: पर मैं यह जानना चाहती हूँ शाज़िया दो बाते, Number1 – I was only a keen observer, ठीक हैं, और मैं सबसे पूछताछ करती रहती थी जो main players  हैं  उन सबसे बातचीत होती रहती थी. I could tell that this is a big con job, which is why I  never came in and even when you told me की आओ मधु दी उस से बात करो आप, I said no. Please let’s not even try. कुछ और आप मुझ से करवाना चाहती हो तो करूँगी, not  this. Now the point  is यह सारे links किसका इस्तेमाल हो रहा हैं कहाँ से पैसा आ रहा है, if I could tell, आप England जाकर fund raising कर रही हो आपको दिख रहा हैं की यह Western Union से कैसे टेढ़े रास्ते से पैसा ला रहे हैं.

SI: नहीं. यह सब बाते तो बहुत बाद में पता चली ना. क्योंकि मैं जाती थी और उनके funds आते थे और मेरे साथ एक और किसी को भेजते थे. और मैं कहती थी की हम लोग foreigners  से तो ले नहीं सकते. You have to be an Indian citizen तो यह तो बहुत सारी बाते बाद में पता चली क्योंकि मैंने काफी पर्दाफाश भी किया है इनका. नील हसलम के साथ मिलकर मैंने इनका सारे निकाले कैसे दो-दो करोड़ के यह हवाला shell companies, वह सब निकाला, वह भी मैंने किया . और अगर मैं बेवक़ूफ़ थी मधु दी, तो मैंने अपने आप को redeem भी किया. सबसे पहले मैंने छोड़ा हैं. मुझे बहुत सब ने रोका हैं. सबसे पहले उसका कोई औचित्य नहीं था ना तो कोई job थी न कोई पार्टी बुला रही थी. उसमें भी मैंने बहुत बर्दाश्त किया. लोगों ने मुझे क्या-क्या नहीं सुनाया. और इतना कुछ था मेरे पास , इतने उदास  होकर दिल टूट गया था मेरा यह देखकर जो रहा हैं. मैं भी रुक सकती थी कुमार विश्वास की तरह , आशुतोष की तरह, प्रशांत भूषण की तरह. सब जानते थे उसमें जो भी थे. किसी को राज्य सभा दिखाई दे रही थी, कोई सोच रहा था की चलो, हम पार्टी को ठीक करेंगे. लेकिन मैंने नहीं किया. आतिशी मार्लेना, राघव चढ़ा जिसको प्रशांत जी लेकर आये थे. वह तो suitcase  उठाकर आते थे और लिखते थे notes. तो अरविन्द ने कहा शाज़िया तुम प्रशांत भूषण के खिलाफ लिखो क्योंकि आतिशी ने लिखा और राघव ने भी लिखा हैं. मैंने कहा की मैं यह नहीं कर सकती . आपकी कुछ बातों से मैं सहमत हूँ और प्रशांत जी की कुछ बातों से मैं सहमत हूँ; उनकी बहुत सी बातों से मैं सहमत नहीं हूँ आपकी भी बहुत सी बातों से मैं सहमत नहीं हूँ. यह खेमे बाज़ी वहां भी चल रही थी. इसके असर आपने क्या देखा? प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को कैसे जूते मार के निकला गया. उनके जो इस्लाम भाई थे बाकायदा उनको तो इतना मारे, रमज़ान भाई को बाकायदा bouncer के through पिटवाया . 

MK: मैं उस पर थोड़ी और बात सुनना चाहूंगी.

SI: तो सबसे पहले मैं  निकलने वलों में से थी. मुझ से बहुत कुछ कहा गया, देखिये मेरे घर लोग भेजे गए, वापस आओ , काफी उसमें public outcry भी रहा. लेकिन मैंने कहा मुझे बिलकुल नहीं रहना हैं. मैं नौ महीने के लिए शांत हो कर अलग-तलग बैठ गयी. दुखी मन मेरे सुनो मेरा कहना, जहाँ नहीं चैना वहां नहीं रहना.

MK: इसमें कोई दो राय नहीं हैं की you were the first one to leave and  then  you  never turned back. But more importantly, you remember we had  some  phone  conversations? जब मैंने आपको, जब आप पूरे जोश से BJP को और मोदी को मोटी-मोटी गालियां दे रही थी और मैंने उस वक़्त आपको phone करके कहा , शाज़िया तुम मेरी प्यारी दोस्त हो और मैं आपको warn कर रही हूँ की यह व्यक्ति बनने वाला हैं प्रधान मंत्री आप चाहे ना चाहो. और इसलिए थोड़ा आप ज़बान संभालकर इनके खिलाफत में बोलिये और आप में उस वक़्त एक जोश था उस पार्टी का . 

SI: नहीं, नहीं. मैं बताऊँ, सारा हमारा यह जो पूरा phase रहा हैं, हमारा 2011 से लेकर 2014 की अगर हम लोग बात करें, तो लगातार हम लोग UPA के खिलाफ लड़ रहे थे. अरविन्द मोदी के खिलाफ तो तब हुआ जब वह लोक सभा election में आये. उस से पहले तो हम लोग UPA के खिलाफ लड़ रहे थे  ना, शीला दीक्षित के खिलाफ. 

MK: I know that I am very well aware of that . 

SI: तो सिर्फ एक महीना था. ज़ाहिर हैं जब पार्टी की बात होती थी, BJP की बात, गुजरात में मैं नहीं गयी इनके साथ. गुजरात में सब गए थे, आशुतोष को लेकर गए थे . मैंने कहा नहीं. और जब अरविन्द यह भी कहते थे, मैंने भी कहा Modi for PM Arvind for CM. That thing came from Arvind and me. हमने वह भी कहा. क्योंकि I still  believed that Modi would have been better. तो मेरी लड़ाई कांग्रेस से रही है और मुझे मालूम हैं की RSS के बहुत से लोगों ने मदद भी की हैं हमारी, बहुत सारा खाना बनाने का काम जो था, रसोई का काम सारा, पैसे का काम संघ ने दिया तो मैं बहुत कृतज्ञ थी और मेरी अंदर-अंदर बहुत दोस्ती भी हो रही थी RSS के लोगों से. और जब मुझे इतना attack किया जा रहा था, ‘भारत माता की जय ‘ कहने के लिए या ‘वन्दे मातरम’, तो automatically मुझे Left से चीड़ हो गयी थी. आप मेरे articles पढ़ लीजिये Indian Express में मैंने लिखे हैं. 

MK: I am aware . 

SI: तो मोदी जी वाला जो phase था वह एक महीने का था वह भी मैं जब प्रचार कर रही थी अरविन्द के लिए. क्योंकि VK Singh जो थे हमारे साथ ही थे अण्णा हज़ारे के साथ वह लड़ने लगे ग़ज़ियाबाद से और किरन बेदी भी जाने लगी. तो everything changed you see.

MK: वह जो आपका sting operation हुआ था क्योंकि उसके बारे में अभी भी बहुत लोगों को गलतफहमियां हैं . 

SI: नहीं, नहीं. कोई ग़लतफ़हमी नहीं हैं.

MK: अरे मेरे जैसे को हैं. मैं तो तुम्हारी प्यारी दोस्त हूँ, well wisher हूँ. और मुझे भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया. 

SI: अगर आप Google करेंगी तो स्पष्ट हो जाएगा. एक कोई अरुरंजन झा हैं उन्होंने sting  किया था. 

MK: मैं यह sting operation का background बताती हूँ. जो 2013 का चुनाव था जिसमें शाज़िया RK Puram से MLA की seat  के लिए लड़ रही थी, उस वक़्त एक स्टिंग ऑपरेशन हुआ, जिसमे शाज़िया is talking to a group of Muslims…

SI: नहीं, नहीं. वह तब का नहीं हैं. वह अलग हैं, वह लोक सभा elections के समय का था. वह बम्बई का था, मेरा election का नहीं था उसमें. मैं प्रचार कर रही थी और उस में मैं मुसलमानों से कह रही थी, यह बात वह अलग था. वह sting नहीं था. किसी ने video  बनाकर डाला था. तो मुसलमान आये थे वह कह रहे थे हम लोग तो कांग्रेस को वोट देते आ रहे हैं. मैंने कहा की इस तरह से की बहुत आप लोग communal  हो गए हो , secular  हो जाइये अपने बंधे को वोट दीजिये. और अरविन्द तो हिन्दू हैं, तो मैंने उसको explain  भी किया था. मैंने कहा था की आपका वह हैं जो आपके लिए काम करें, कांग्रेस की सियासी ग़ुलाम क्यों हैं ? तो कांग्रेस की against  था उसका मेरे election  से कोई लेना देना नहीं था. और अरविन्द केजरीवाल के election के लिए था और वह से वह लड़ रही थी बम्बई से the  lady  who died जो बैंक में थी बहुत अच्छी सी थी, banker थी articulate उसका नाम नहीं याद आ रहा हैं.  तो उनके लिए मैंने campaign की थी. So, that was  different  from  RK Puram, वह पैसे को लेकर sting operation था . तो इसमें यह हुआ, मैं लोगों से sarcastically कह रही थी की secular – communal क्या लगा रखा हैं. Because I  think it has lost its meaning. मैंने कहा की communal ही हो जाइये अपना फायदा सोचिये. कांग्रेस के सियासी ग़ुलाम क्यों हैं? क्योंकि वह बम्बई के जो लोग थे वह आम आदमी पार्टी को try नहीं करना चाह रहे थे और उसमें बड़े मुसलमान नेता आये थे और वह इफ्तार का वक़्त था . तो कुछ लेकर आये थे, तो मैंने अपना सर ढक  लिया था क्योंकि सब लोग नमाज पढ़ रहे थे . मैंने तो इसलिए मेरा जो point था उसको मैंने explain किया. हमने कहा भई न तो मेरा election  था वहां से, जिन्हें लड़ रहे  थे  election वह भी हिन्दू हैं अरविन्द केजरीवाल खुद भी हिन्दू हैं.

MK: न हिन्दू वह न मुसलमान. क्या है उसका न धर्म न ईमान .

SI: नहीं, नहीं. मैंने मुसलमानों से कहा जो आपके लिए काम करता हैं वह आपका अपना हैं. 

MK: अच्छा, यह जो RK Puram का sting operation क्या हैं? इसने आपका नुकसान किया. 

SI: जी, नुकसान किया चार दिन मुझे बैठना पड़ा और वह भी अरविन्द की शरारत थी.

MK: क्या शरारत थी?

SI: छह – सात लोगों के खिलाफ sting  हुआ, क्योंकि मैं permanent  थी. कुमार विश्वास का भी उसमें था तो उसमें बीच-बीच में से frame सट्टे हुए थे ,कहीं का Yes कहीं का No था और मैंने कहा बिलकुल झूठ हैं जो भी TV production जानता हैं वह जानता हैं कैसे frames निकले हुए हैं. अगर मैं आपसे पूछूँ की आप अच्छी journalism में यकीन करती हैं, आप कहेंगी बिलकुल. अगर मैं आपसे कहु की आपने कितना पैसा बनाया हैं, आप कहेंगी कुछ भी नहीं. लेकिन मैं अगर आपके sentences को interchange कर दूँ editing में तो frames अलग होते हैं यह पता चल जाता है न ambient sound में. तो वह साफ़ दिख रहा था की इसमें कुछ दम नहीं है, मुझे मालूम था न जिस lady ने किया था. तो उन्होंने वह हिस्से निकालकर छह-सात candidates के खिलाफ यह किया. मैं TV में जाती थी मैं डंके की चोट पर TV पर मैंने कहा कुछ नहीं हैं, यह sting झूट-मूट का हैं आप भी देखिये यह frames trick हैं production से बनती हैं, मैं जामिआ से हूँ मेरा काम हैं फिल्म बनाना, production करना और editing करना. तो मैंने कहा यह बकवास हैं इसमें कुछ नहीं दम हैं, न किसी के खिलाफ हैं न मेरे. लेकिन अरविन्द का बाकायदा फ़ोन आया उस वक़्त विभव का,जो उसका man Friday हैं और वह भी बड़े आला हस्ती हो गए हैं, बहुत बड़े politician हैं खुद वह ,वह बड़े अमीर हो गए हैं वह भी. विभव ने कहा की आप उतर जाइये . मुझे इतना बुरा लगा. अब देखिये की मैं कितनी बेवक़ूफ़ हूँ. उसने कहा party के लिए शाज़िया आप जो है …

MK: उतर जाइये मतलब ?

SI: मतलब आप अभी बैठ जाइये.

MK: Candidate withdraw कर लो .

SI: मैंने कहा कुछ नहीं मैंने फ़ोन भी किया . मैं on air थी. और योगेंद्र यादव भी on  air थे. योगेंद्र यादव को लगा मालूम नहीं शाज़िया ऐसा क्यों कह रही है. मैंने कहा देखिये मुझसे कहा गया हैं तो मैं तीन-चार दिन बैठ जाती हूँ. इसका सच आ जायेगा और योगेंद्र यादव जी ने Election Commission से कहा और Election Commission  ने बाकायदा क्योंकि  elections सर पर थे वह footage सामने आया, footage में जो मेरा हिस्सा हैं की – देखिये मैं झूठ नहीं बोलूंगी और अगर जो भी पैसा हैं आपको cheque book में देना पड़ेगा और वह भी RK Puram AAP के नाम से दी जीयेगा. तो वह बहुत ही redeeming feature था लेकिन मेरे चार active दिन चले गए थे. और अरविन्द केजरीवाल को आखिरी दिन का campaign था, क्योंकि मेरा एक ही दिन बच गया था, क्योंकि आप जानते हैं की election के दो दिन पहले campaigning नहीं हो सकती, आचार संहिता लग जाती हैं. आप यकीन नहीं करेगी, मैंने अरविन्द से कहा आप आ रहे हैं? अरविन्द ने कहा नहीं मेरी तबियत ख़राब हैं, मैं नहीं आ रहा हूँ. और पास में Delhi cantonment था जहाँ पर Commando  सुरिंदर लड़ रहा था. वह वहां गए और उनके जो लोग थे उन्होंने मुझे बताया की आएंगे नहीं अरविन्द. अब देख ली जीयेगा क्योंकि उनको लगा की शाज़िया का नाम बड़ा हो रहा हैं और लगातार मुझे undercut करने की कोशिशें हो रही थी. जो लोग सबसे ज्यादा बदतमीजियां RK Puram में करते थे और जो communal बाते कहते थे मैं उनकी शिकायत करने जाती थी की यह लोग कैसे बोल रहे हैं सब के सामने, प्रेस इत्यादि होती हैं. तो इस से पहले की मैं पहुँचती थी अरविन्द के पास वह already पास ही बैठे होते थे संजय सिंह और मनीष सिसोदिया के. आप जानते नहीं यह लोग इतने घाघ लोग हैं इतने तेज़ लोग हैं, पुरानी सारी पार्टियां एक तरफ और अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया एक तरफ. ये ऐसे घाघ है आप सब को पीछे छोड़ देंगे चाहे वह लालू हो चाहे अखिलेश हो.

MK: पर घाघ तो योगींद्र यादव भी कम नहीं. कैसे इतना फासला बढ़ा यह इतना मनमुटाव बड़ा?

SI: अरविन्द ने ख़त्म कर दिया सब को.

MK: एक तो मुझे लगता हैं की जैसे अरविन्द को गलतफहमी है that he is prime  ministerial material, वह पैदा ही  हुआ हैं Prime Minister बनने के लिए. वह ready था, वाराणसी में जाकर मच्छर की तरह बिन-बिना रहा था की मोदी को हराएगा. इसी किस्म से योगेंद्र यादव को भी ग़लतफ़हमी हैं की वह भी Prime ministerial material है, और उसको  कोई न कोई आ कर ताज पहना ही देगा. एक तो यह कारण हो सकता है.

SI: मधु दी, आपको लगता नहीं हैं की इतनी ज़िल्लत के साथ निकाले गए हैं और इतने बे आबरू होकर उनके पूछे से वह  निकले. लेकिन उसके बावजूद अभी भी मुंह खोलने की हिम्मत नहीं हैं, मतलब पिटाई तक हुई है बाकायदा. बाकायदा कहलवाया गया हैं अपने लोगों से की इनके खिलाफ लिखो की जासूसी करते थे, यह सब हुआ हैं, यह सब जानते हैं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव. इसलिए मेरी इज़्ज़त बिलकुल घट गयी हैं उनके लिए, बल्कि हैं ही नहीं.

MK: चिंता किस बात का हुआ? क्यों इसलिए की यह prominence  में आ रहे थे, यह ही था? 

SI: Prominence में आ रहे थे और कोई अपने ढंग से चलाने चाह रहे थे. अरविन्द का बिलकुल अलग purpose था, बिलकुल न तो वह leftist हैं न rightist हैं.

MK: जब पहले दिन अरविन्द योगेंद्र यादव को CSDS में मिलने आये थे. और मुझे याद हैं योगेंद्र यादव और मेरा कमरा बगल में ही होता था. तो योगेंद्र यादव ने खुद ही कहा – मधु दी, वह आ रहे हैं आप भी बैठ जाइये. I was  witness to that  first  tete-a-tete .   

SI: Interaction?

MK: Yes, first interaction and Arvind Kejriwal was trying to woo Yogendra  Yadav mainly also  because he is good at election  surveys. So , he  used him. Initially तो योगेंद्र यादव का इस्तेमाल किया गया election surveys करवाने. 

SI: बिलकुल. Committees बना दी गयी अलग-अलग क्योंकि आप लोग तो सवाल उठा रहे थे की corruption पर तो यह बोल रहे हैं बाकी चीज़ों पर क्या हैं. इसलिए तो योगेंद्र यादव जी ने बड़ी मेहनत की.

MK: और intellectual हैं academic हैं तो वह लिखना पढ़ना ज्यादा अच्छा जानता हैं. अरविन्द तो शायद चिट्टी भी नहीं ठीक लिख सकता.

SI: योगेंद्र भाई का और प्रशांत जी का जो बैंड बजाए न अरविन्द ने .

MK: क्यों हुआ ?

SI: पर देखिये उनको ज़िल्लत बर्दाश्त हैं एक झूठा आदमी बर्दाश्त हैं .लेकिन बीजेपी से क्योंकि नफरत इतनी हैं तो यहाँ पर पीटने को तैयार हैं. जो आप बात कर रही थी न, वही अरविन्द केजरीवाल ने बाकायदा कह दिया था दे दो मुसलमानों को टिकट, जीतना तो हैं नहीं. मुसलमानों को क्या चहिये की मोदी को गाली बको अपने आप वोट दे देगा. मुसलमानों को और कुछ नहीं चाहिए. यह अरविन्द खुद खुल कर कहते थे, एक sting भी आया था उनका  phone पर. मैंने बीस बार सुना हैं इस बात को. मुसलमानों का क्या हैं? उनको कुछ नहीं चाहिए, बस गाली बको मोदी को. 

MK: नहीं, पर दिया तो बहुत कुछ हैं. इस आम आदमी पार्टी को एक माफिया है, जो Islamic mafia कहूँगी मैं अच्छे लोग नहीं. उन्होंने कब्ज़ा कर लिया हैं. अब यह कोई नहीं कह सकता की वह अरविन्द को use कर रहे हैं या अरविन्द उनको use कर रहा हैं? और यह CAA के दौरान तो बहुत स्पष्ट हो गया. 

SI: जी, बहुत स्पष्ट हो गया था. लेकिन आपने देखा जैसे ही election  जीते वैसे ही कन्हैया के खिलाफ वह मामला शुरू कर दिए उन्होंने, वह convenience हैं. अब अरविन्द देखिये बड़ी दोस्ती कर रहे हैं, मोदी जी की तारीफ भी कर रहे हैं. उनके सारे spokespersons भी बड़े चालाक लोग हैं, नहीं गिरगिट हैं. 

MK: नहीं यह चालक क्यों हुआ? देखो, एक जो हमने सुना था योगेंद्र से इनका झगड़ा इस बात पर हुआ, की योगेंद्र ने अरविन्द को egg on किया की आप सारे देश में अपने candidate  खड़ा कीजिये. जबकि अरविन्द तैयार नहीं था उसके लिये. यह योगेंद्र को लगा की हम majority पार्टी के रूप में आएंगे. 

SI: यह भी एक point  था. यह मेरे सामने का किस्सा हैं क्योंकि मैं EC का हिस्सा थी.

MK: EC  मतलब?

SI: एक हमारा small सी body थी inner टीम थी Executive Committee. हमारी अपनी Executive Committee की मैं member थी, जिसमें बहुत कम लोग थे. तो योगेंद्र यादव ने यह भी पुछा आपकी जो छोटी सी यह PAC हैं इसमें आप किसको choose करते हैं कोई system  तो बनाइये. तो system बनाने को बना दिए. Papers तो तैयार हो गए, Committee  के बड़े-बड़े चौड़े आप believes in this, in that, manifesto भी तैयार हो गया, बना कुछ नहीं था.  और योगेंद्र यादव ने तो यह भी कह दिया लोग आएंगे अपने-अपने परिचय देंगे और हम आम लोगों को मौका देंगे . 

MK: मोहल्ला सभा .

SI: मोहल्ला सभा होगा और लोग ऐसे निकालेंगे पर्चे उसमें से और जिसका नाम निकलेगा वह होगा, गिने जायेंगे लोग. और अरविन्द केजरीवाल ने क्या बोला ? अरविन्द ने बोला भैया Executive Committee तो होगा वही जो हम लोग चुनेंगे. यह तो कहने की बाते हैं. और लोग बेचारे बेवकूफों की तरह 5 -50000 signatures लेकर आ रहे हैं, आधार कार्ड, वोटर कार्ड  सब इकट्ठा करके.

MK: Let us explain यह जो grassroot democracy को ज़िंदा करने की बात हुई, उसका यह था की जो भी candidate होगा या पार्टी की committee में आएगा या जिसको टिकट मिलेगा, Corporation का या MLA का वह उस constituency से पार्टी members उसको चुन के भेजेंगे, उसको टिकट दिया जाएगा. पर बाकी पार्टियों की तरह यहाँ भी टिकट खरीदे-बेचे जाने लगे. 

SI: आप अशोक अग्रवाल जी को जानते हैं, वह भी हिस्सा थे इसके. वह बेचारे लिखकर follow  करके 5000  लोगों के signatures  उस particular  constituency  से लेकर आये. लेकिन आशुतोष ने कहा मैंने तो इसलिए छोड़ा, क्योंकि मुझे टिकट मिल रहा हैं चांदनी चौक से यह क्यों आये? तो अशोक अग्रवाल जी बड़े नाराज़ की जब आपका fixed है सारा मामला, मेरे सामने हंगामा हुआ पूरा पार्टी के अंदर, तो फिर आप क्यों कह रहे हैं झूठी बाते? और आम लोग इस ख्वाइश में, की हमें भी टिकट मिलेगा. अरविन्द केजरीवाल, कौन सी कमिट्टीयां हैं? गिटमिट बैठकर, एक air conditioned कमरे में बैठकर तय कर लेते हैं. क्या एक आम इंसान को election लड़ने का हक़ नहीं? टिकट पाने का हक़ नहीं? क्या बोल रहे हो और हो क्या रहा हैं? इसको ला रहे हो आशीष खेतान को इसको ऐसा करना हैं, और उसको वहां से करना हैं. और मुसलमानों से यह, की जीतना तो हैं नहीं उनको लगा दो यहाँ से वह भी खुश हो जायेंगे. मतलब यह इतनी चालाकियां करते हैं. और आपका सवाल था, यह सब ख़त्म कैसा हुआ.

MK: इनका इतना दुराव कैसे हुआ? मनमुटाव कैसे आया?

SI: यह बहुत ही बुरी तरह से खेमे बाज़ी हो गयी और वह कुछ अपने system से चलाने चाह रहे थे. लेकिन केजरीवाल जो हैं बिलकुल ही तानाशाह जैसे attitude होता हैं, either  you  are  with me or you get out. उसका यह था की आप निकल जाइये अगर आपको पसंद नहीं आ रहा हैं. वह हैं उसका attitude वह नहीं सह सकता. मनीष सिसोदिया क्योंकि हमेशा पैसे संभालता रहा हैं उसका पुराना lieutenant रहा हैं, हर सारे NGOs में वही salary  देता है सब की. अरविन्द नहीं छूते हैं पैसे को मनीष ही संभालता हैं. तो ज़ाहिर हैं मनीष उसका राज़दार है, तो उनकी बात और उनके अपने लोग रहेंगे. जब योगेंद्र यादव ने और प्रशांत भूषण ने अपने लोगों को, और लोगों को इसी पार्टी में जो NGO से लोग निकलते थे, NGO में एक-एक नाम देखिये आप पुराने लोगों का अब देखिये कहाँ बैठे हैं? सिर्फ और सिर्फ जो पनपा हैं वह परिवर्तन और कबीर फाउंडेशन का ही रहा है. 

MK: नाम बताओ.

SI: अश्वती मुरलीधरन, विभव, स्वाति मालीवाल, फ़ीरोज़. 

MK: स्वाति मालीवाल तो बन गयी Delhi Women’s Commission का Chairperson.

SI: हाँ तो वह NGO से थी न, वह इसी का हिस्सा थी. वही तो बता रही हूँ मैं की जो जो वहां से निकले हैं वही तो कुछ हैं वहां पर. 

MK: नहीं, योगेंद्र यादव ने जिन लोगों को लाये …

SI: योगेंद्र यदव तो बहुत से लोगों को लाये.

MK: मेधा पाटकर को लाना चाहते थे, ऐसे-ऐसे लोगों को, इनको यह गलतफहमी थी यह mass movement वाले लोग हैं. 

SI: स्वामी अग्निवेश को और मेधा पाटकर जैसे लोगों को लाना चाहे तो कपिल मुनि वाला case हो गया, कपिल सिबल वाला वह खुद अरविन्द केजरीवाल ने करवाया हैं उनके खिलाफ.

MK: Sting ?

SI: Sting कराया हैं.

MK: बड़ा धूर्त आदमी हैं अग्निवेश, महाधूर्त हैं. 

SI: नहीं, नहीं. पर धूर्त को धूर्त काटता हैं ना ?

MK: या ने इसने सब को काट दिया. योगेंद्र के साथ क्या हुआ ?

SI: ऐसा कोई सगा नहीं जिसको मैंने ठगा नहीं. मधु दी,मैं बता रही हूँ, वह कानपुर में जो दुकान हैं, रिक्क्षे से जाती थी मैं रोज school की तरफ रोज वह दुकान देखती थी और अभी भी वह दुकान मेरे दिमाग में दिखती हैं जब भी मैं केजरीवाल जी को देखती हूँ. 

MK: पर एक तो यह की अपने लोगों को योगेंद्र यादव लाना चाहते थे.

SI: अपने लोगों को थोड़ा broad-base करना चाह रहे थे. लेकिन अरविन्द केजरीवाल सिर्फ अपनी मरज़ी चलाते, कुछ भी कर सकते है जैसे की एक सवाल यह था की दिल्ली की जो election हैं हम लोग  किस basis पर कह रहे हैं की हम बिजली के दाम आधी कर देंगे? यह एक बुनियादी सवाल था, suddenly वह आ गया .

MK: आज मेरा बिल बिजली का कम से कम पांच गुना ज्यादा आता है. इतनी धांधली बाज़ी हो रही हैं. पहले आप complaint कर सकते थे.

SI: और पानी का बिल भी.

MK: पहले हम complaint करते थे तो आ जाते थे चेक करने आपका मीटर. अगर मीटर में गड़बड़ी हैं तो आप शायद बदलवा ले मीटर. अब तो कोई हैं ही नहीं हिसाब किताब. 

SI: कांग्रेस की एक votebank politics रही है अरविन्द समझ गए की एक votebank बनाना हैं, तो आप जो हैं फिक्र नहीं करो दुनिया भर की, पर जाओ जहाँ पर जाना हैं. तो इसलिए वह जो उन्होंने पकड़ा हैं की गरीबों को यह free में दो. पैसा तो हमारा हैं tax  payer  का हैं आपका और हमारा हैं. क्या फर्क पड़ता हैं, subsidise करना तो सबसे आसान तरीका हैं. 

MK: नहीं. अगर आप देते हो तो उसमें से तो siphon off बहुत हो सकता हैं ना? जैसे स्कूल के कमरे बनायीं हैं.

SI: और कहा की नहीं बिजली कंपनियों के खिलाफ केस करेंगे. 

MK: और बिजली कंपनियों को तो सर पर बिठा लिया. 

SI: और यह पैसा subsidy का इन्हीं को मिल रहा हैं. और यह CAG  से audit  होगा और वह audit हो नहीं रहा हैं. तो उसका औचित्य पूछते थे की यह क्यों यह डाला गया हैं? तो डाल दो अभी चल जाएगा. तो यह लगातार होता रहा और योगेंद्र और प्रशांत भी कुछ चीज़ों को देख रहे थे उनको भी दिक्कत हो रही थी. तो उनके आपस में clash रहा हैं. और अरविन्द केजरीवाल सिर्फ अपनी बात मानते हैं. वह सिर्फ लोगों को इस्तेमाल करना जानते हैं. RSS  वलों को उन्होंने इस्तेमाल किया, कांग्रेस को इस्तेमाल किया, श्री श्री को किया, बाबा रामदेव को किया, एक-एक हम सब लोगों को किया. तो उसमें उनकी महारत हैं. चाहे वह संतोष हेगड़े जी हो, चाहे किरण बेदी जी हो सब को इस्तेमाल करना पसंद हैं इसलिए उनको महारत हासिल हैं और वह कर रहे हैं. यह खूबियत है उनकी खासियत हैं.

MK: तो इतना बे आबरू करके क्यों निकाला ? और बाकी लोग चुप क्यों रहे? 

SI: क्योंकि अरविन्द के पास तब तक control आ गया था. क्योंकि अरविन्द ने पैसे को हमेशा अपने control में रखा, उनके लोगों ने रखा.

MK: नहीं, वह काम दे सकते थे ना योगेंद्र यादव को election survey करता रहे. क्योंकि devious तो वह भी बहुत हैं. इनके बहुत काम आ सकता हैं लोगों को पटाने में योगेंद्र यादव भी काफी माहिर हैं.

SI: अगर कोई भी उनके हिसाब से लोकप्रिय हो रहा हो, prominence में आ रहा हो, काबिल हो तो वह वही से चलता है वही पर ख़त्म होता हैं. अरविन्द proposes, मनीष सिसोदिया disposes . कुमार विश्वास तो लगे रहे बेचारे की राज्य सभा मिल जाएगी कहाँ मिली? संजय सिंह को दिया ना उन्होंने? संजय सिंह ने उनका काम किया और दो और लोगों को दिया. दो जो अच्छे गुप्ता जी थे . जो बड़े अमीर लोग थे, धन्ना सेठ. जो एक कांग्रेस से आये थे जिनका और एक कही और से आये थे जिनका कई institutions हैं  वह आ गए. 

MK: तो यह योगेंद्र यादव, इनकी पार्टी क्यों इतनी फूस रही ? It  is  not  getting  any  traction why?

SI: क्योंकि अरविन्द को भी यह समझ में आ गया की योगेंद्र यादव में हैं ही नहीं कुछ. यह अच्छी-अच्छी बाते करना, ज़हीन-वहीन बाते करना, एक तरीके से अपनी बात को बोलना, अपने Brown college का जिक्र करना और कहाँ से आप आये हैं, वह कोई सुन नहीं रहा हैं उसमें कोई दम नहीं हैं. आप वही घिसा पिटा राग जिसकी मैं बात कर रही थी, वह अटके हुए हैं वहां पर वह लोग.

MK: और वह भी double timing, triple timing बहुत करते हैं वह. हाँ, बिलकुल. उन्होंने भी anti-Congress शुरू कर दिया हालांकि कांग्रेस के पाले हुए बच्चे हैं openly.   

SI: बिलकुल, बिलकुल.

MK: और NAC तक में योगेंद्र यादव की सहभागिता थी.

SI: बिलकुल. उनका पूरा मकसद हैं BJP की मुखालफत और ज़ाहिर हैं मोदी उसका सबसे बड़ा चेहरा हैं. उनका बस यही हैं और कुछ उनका हैं ही नहीं. लोग सोचते हैं बड़े intellectual  लोग हैं; हमारे यहाँ यह चीज़ हो गयी, एक मनघडत यह बात हैं की  आपको intellectual  होने के लिए सिर्फ मोदी से मुखालफत करना हैं. कुछ ज्यादा नहीं करना हैं, न तो कोई solution देना हैं, न कोई काम की बात करनी हैं, न ही कोई grassroots  में ज्यादा कुछ करना हैं. आपको सिर्फ और सिर्फ right के खिलाफ, majoritarianism के खिलाफ, हिंदुत्व के खिलाफ और हिन्दुओं के खिलाफ बात करनी हैं.

MK: हिन्दुओं के खिलाफ, anti -हिन्दू. नहीं यह बताओ मुझे की anti-Hindu योगेंद्र यादव का या प्रशांत भूषण का होना; पहले तो यह anti-Congress रहे इतने साल, प्रशांत रहे. यह तो उनकी गोदी में खेला बहुत उसने, कपिल सिबल का भी फायदा उठाया. सरकार की academic committees, 40 major committees में यह था यह कांग्रेस के ज़माने में. 

SI: अच्छा?

MK: हाँ था, मैंने पूरी list इसी की CV से उठायी. So, he was in all big academic committees during UPA और Ford Foundation का भी चहेता रहा .

SI: तो वह एक ही पूरी-पूरी lobby हैं. और इनको तकलीफ इसलिए हो रही हैं की कुछ दाल नहीं पक रही, कुछ आ नहीं रहा हैं. क्या है स्वराज हिन्द पार्टी बताइये? दिल्ली तक में candidate नहीं खड़े हुए हैं. दो जगह भी नहीं खड़े हुए हैं.

MK: योगेंद्र यादव अपनी Housing Society की भी election नहीं जीत सकते. हालत उनकी यह है पर वह भी इसको जानता नहीं.

SI: सब समझ गए इसको. अरविन्द क्यों इसको घास डालेगा बताइये ? 

MK: और प्रशांत का तो legal इस्तेमाल था, तो क्या हुआ?

SI: प्रशांत वैसे मैं बता दू, की प्रशांत जी ने भी और मैंने भी तीन-चार चीज़ें जिन्होंने अण्णा हज़ारे movement के बाद आम आदमी पार्टी को जो prominence दी हैं वह तीन-चार खुलासे रहे हैं एक DLF रोबर्ट वाड्रा वाला आपको याद होगा. आपको याद होगा एक अम्बानी वाला बहुत बड़ा खुलासा था. एक आपको याद होगा छोटा-मोटा ही था नितिन गडकरी वाला और चौथा था वोडाफोन वाला जिसमें defamation  case  भी किया कपिल सिबल ने और उनके बेटे ने हम सब लोग के खिलाफ. तो इन चार मामलों में अरविन्द ने कुछ नहीं दिया. कुछ चीज़ें मैंने दी और सारी चीज़ें प्रशांत जी ने दी अलग-अलग. पर अरविन्द चेहरा बन गए आम आदमी पार्टी के और फिर CM. और फिर अरविन्द ने जब कहना शुरू कर दिया की हर जगह मेरा photo  होगा, हर poster में मेरा photo होगा candidate के साथ, हर जगह झाड़ू आम आदमी पार्टी मेरा फोटो. तब लगने लगा की जिन चीज़ों के लिए वह बुराई करते थे मोदी जी की यह वही कर रहा हैं, हमारा ही पाला हुआ बच्चा, यह क्या होने लगा? तो उन्होंने मुखालफत जब की, अरविन्द ने कहा get out. और गए वह. और देखिये इसलिए मैं अपनी मरज़ी से खुद से गयी. मुझे बिलकुल ही boycott किया गया. अच्छा और एक चीज़ – हम जायेंगे नहीं court, फिर गए न? फिर माफ़ी भी आपने court में मांगी, आपको याद हैं न?

MK: Explain किस court case की बात कर रही हैं ?

SI: आपको याद हैं केजरीवाल जी ने चाहे वह कपिल सिबल जी हो, चाहे वह सुखबीर बादल हो या फिर अरुण जेटली हो, या फिर प्रफुल पटेल हो और कई नेताओं के बारे में बहुत ज्यादा इल्ज़ामात लगाए थे और corruption की बाते की.

MK: क्या यह सही भी थी?

SI: सही और गलत तक पहुँचने का समझने का उन्होंने खुद ही किसी को मौका नहीं दिया. क्योंकि जब पहले तो बोले की कोर्ट नहीं जाऊंगा मैं. धरने पर बैठ जाते थे, लेकिन उनको समझ में आया की system यही हैं और तुम CM बनना चाहते हो बुनियादी जो system  हैं bail का और summons का समझना पडेगा. तो फिर केजरीवाल को लगा की बड़ा time  waste होगा, तो फिर माफ़ी मांग लेता हूँ. तो उन सबसे माफ़ी मांग ली, this is how it is. This is Kejriwal for you. 

MK: So, what was the tipping point that made you leave the Aam Aadmi  Party also the manner in which you left?

SI: The tipping point was, I left on a very sad note. There was a time when  Arvind Kejriwal called me every single day. I went for every media meeting. I  was the media incharge from the first day, whether it was a presser or making  your first twitter account or talking to media persons, or fixing something that  was being said  or  fixing interviews, I was the person to  go  to  as  I was from the media and that is why I came in to help them  out  for three months and then of course I left it all and  it  became  many,  many  years  after  that . But  Arvind  Kejriwal just stopped interacting. I just said you know I  think it  is wrong what Somnath Bharti did. Somnath probably did not know  what happened with the woman there. And then the Republic Day boycott  happened.

MK: नहीं, नहीं. फिर बताइये सोमनाथ भारती ने वह जो एक commando operation किया था रात को.

SI: हाँ, पुलिसवालों को ले गए थे वहां महिलाएं थी.

MK: African महिलाओं को पकड़कर बहुत humiliate किया गया था. On the pretext of cracking down on prostitution racket. Am I right?

SI: That is right, drugs and prostitution racket .

MK: And targeted some African women and handled it really grossly.

SI: पर protocol के खिलाफ था, ऐसे कभी हुआ नहीं था. It was totally extra-Constitutional that was being done. और बहुत ख़राब ज़बान का भी इस्तेमाल हुआ. तो हमने कहा की इस तरह की जबान का इस्तेमाल न करें. फिर मैंने यह माफ़ी मांगी की हाँ यह गलत हैं. और फिर Republic Day में उन्होंने boycott किया. Republic  Day के boycott  में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण ने उनका साथ दिया. मैंने उनका साथ नहीं दिया.

MK: किस साल की बात हैं यह? 2015?

SI: 26 January 2014. जब लोक सभा के election होने वाले थे. फिर उन्होंने resign किया. आपको याद हैं? और फिर वह लोक सभा election लडे. उसके फिर बाद वह फिर से election लड़े और फिर से CM बने.

MK: Republic Day boycott was another big issue.

SI: Yes, it was another big issue. और फिर हर एक चीज़ अरविन्द वह थे ही नहीं जो मैं सोचती थी अरविन्द को. मुझे अपने आप से चीड़ मचने लगी की मैं इतनी बेवक़ूफ़ हूँ की मैं लोगों से कह रही हूँ की मैं अपनी career छोड़ के यहाँ पर आऊं. यह तो सिर्फ पैसे कमाने का, झूठ बोलने का, पलटी मारने का तरीके हैं सारे. अरविन्द एक भी चीज़ पर खरे नहीं उतरे हैं.

MK: तो यह दूसरी बार election कैसे जीत गए? This is my last question to you Shazia, अगली बार हम बात करेंगे आपका switch over to BJP and how has that transition worked out. The last  question  for  the  day आपका समापन करने के लिए – यह दुबारा election कैसे जीत गए जब इतनी con games  हैं सब निकलते आ रहे हैं इनके. और वह लोग नौकरियां जो छोड़कर आये थे उनके बारे में जरा बताइये.

SI: आदर्श शास्त्री हो, Commando Surinder हो जिसके नाम ले-लेकर हम लोग गए थे. और Binny, Binny का मोहल्ला सभा example का अरविन्द ने उदाहरण दे-देकर कितने लोकपाल को लेकर, मोहल्ला सभा को लेकर कितने meetings किये. उसको हटा दिया.

MK: Binny कहाँ हैं ?

SI: Binny BJP में हैं. लेकिन चुप-चाप रहते हैं, अलग-तलग रहते हैं. और यह देखिये Commando Surinder यह ऐसा फौजी आया जो मुंबई terror attacks में जिसने बचाया था, उसको नहीं दिया. गरीब इंसान बेचारा मारा-मारा फिर रहा हैं. आदर्श शास्री जैसा इंसान को आप लेकर आये, इनको ticket ही नहीं दिए. 

MK: नहीं, तो वह नौकरी छोड़कर आया थे Commando Surinder ? 

SI: Commando को अपनी कुछ छोटी-मोटी पेंशन मिलती थी लेकिन उसका नाम Mumbai  terror attacks  से जुड़ा था न? तो वह बाकायदा उसकी बात करते थे की वह ऐसा हैं. फौजी को लेकर आये उसको टिकट नहीं मिला, आदर्श शास्री को नहीं मिला. अब देखिये क्या हैं. कौन लोग हैं यह लोग जो candidate अभी भी हैं , आम आदमी पार्टी के जो विधायक हैं . बहुत  ढेर सारे विधायक हैं आप भी जानती हैं क्या tally रही इस बार भी उनकी, उनका कोई लेना देना नहीं हैं corruption हटाने में.

MK: सिर्फ money और muscle power हैं. 

SI: बिलकुल. उनके background देखिये उन्होंने कितना पैसा file किया हैं. तो जो आम आदमी पार्टी का तस्सवुर था, जो सोच था, जो movement था वह कहाँ और अरविन्द कहाँ? मतलब सब बदल गया हैं. लेकिन अरविन्द की चालाकी जो थी उसको हमें देखिये full marks देने पड़ेंगे. वह समझ गया देखिये, बिजली मुफ्त गरीबों को पानी मुफ्त. 

MK: हमारा सर मुंडवा ले बेशक, middle class का तो उसने बिलकुल उसने मुंडन कर दिया यह bills को लेकर.

SI: बिलकुल, free में करो और सब vote मिलेगा. मुसलमान में अमानतुल्लाह जैसे लोगों का वर्चस्व पार्टी में हैं अब.

MK: पहले तो यह था की मुसलमानों का क्या हैं, anti-Modi बोलो वोट दे देंगे. अब तो लगता हैं की जो मुस्लिम mafia element हैं वह इस पार्टी पर हावी हैं, पूरी तरह से. 

SI: जी, और अरविन्द बोल नहीं सकते एक शब्द. शरजील इमाम बाकायदा अमानतुल्लाह के साथ घूम रहे हैं. photographs हैं और अमानतुल्लाह, शरजील इमाम के तरफ से बोल रहा हैं. वह ही अमानतुल्लाह, मौलाना साद को कह रहा हैं कैसे शानदार इंसान हैं, वह सब कह रहा हैं. लेकिन केजरीवाल चुप रहेंगे. अमानतुल्लाह के सामने केजरीवाल की एक नहीं चलती.

MK: यही मेरा अंदाज था.

SI: बिलकुल. वोट का जो हैं दब-दबा इन्होंने सब पुराने कॉंग्रेस्सिओं को, सपाइयों को, समाजवादी पार्टी के जो थे उनको छोड़ दिया. यह भी मौलाना केजरीवाल वाले mode में आ गये हैं. लेकिन उनको लगा की मोदी जी की ज्यादा बुराई नहीं चलेगी. तो फिर पलटी खा रहे हैं क्योंकि कन्हैया कुमार का prosecution permission दे दिया.

MK: नहीं, not in actual fact. क्योंकि देखो एक और बात मैंने नोटिस किया हैं और दिल्ली में अनको हिस्सों में मैंने अनुभव किया. जब से आम आदमी पार्टी आयी हैं तो जितने street  vendors हुआ करते थे किसी भी इलाके में हर जगह Muslim vendors systematically  लाये जा रहे हैं. बड़ी systematically क्योंकि patronage आम आदमी पार्टी के विधायक और पुलिस से साथ-गाँठ हैं और इस पैमाने पर यह change over हुआ हैं. 

SI: इमामों की salaries आप देखिये, क्यों पंडित नहीं हैं क्या यहाँ पर? यह कभी हिस्सा नहीं था अण्णा हज़ारे आंदोलन में. अरविन्द जी आजकल जो बयानात दे रहे हैं – वह सिर्फ communal बयानात दे रहे हैं, transparency की कब उन्होंने आखिरी बार बात की बताइये आप. पारदर्शिता की बात हो , probity  की बात हो, शीला दीक्षित के खिलाफ की cases  की बात हो, बिजली कंपनियों की बात हो, सलमान खुर्शीद के खिलाफ cases की बात हो.

MK: सब U turn.

SI: क्या बचा हैं?

MK: बचा कुछ भी नहीं. 

SI: फिर अच्छा ही हुआ.

MK: सिर्फ मुस्लिम votebank बचा हैं और वह भी mafia dons के बलबूते पर. यह भी नहीं की शरीफ मुसलमान. आप भी मुसलमान हैं. आप जैसे मुसलमान की कोई जगह नहीं. वहां पर भी जो Islamic goonda elements हैं उसके आधार पर. 

SI: अरे आप ताहिर हुसैन का देखिये ज़रा और क्या बोले जाए बताइये.

MK: बिलकुल. तो आज यह हाल यह केवल Muslim League नहीं रहे. कांग्रेस ने अपना बेडा गर्क किया, की Congress morphed in to a Muslim League. अब यह तो Muslim  League से भी आगे की जो politics हैं वह कर रहे हैं. 

SI: वह हैं लेकिन एक combination हैं subsidy politics का भी इसके साथ. तो यह एक दब-दबा पूरा और उसके साथ-साथ free, free, free का करो. या ने की subsidize करते रहो. सबसे आसान तरीका हैं, मतलब इस से ज्यादा क्या आसान तरीका – आप सब free offer कर दे आपको सब वोट दे देंगे, मधु दी, आप भी शुरू कर दीजिये. तो सबसे आसान तरीका हुआ न? क्या हुआ विकल्प की राजनीति का?

MK: नहीं पर यह तो बीजेपी भी कर रही हैं और उस पर हम अगली बार आएंगे. क्योंकि इनके साथ freebies  में compete  करने का काम BJP ने भी शुरू कर दिया. वह भी अपने आप में घातक हैं. क्योंकि we know that freebies की politics किस गड्ढे में धकेलते हैं हमारी राजनीति को ही नहीं, votebank politics को भी जिस दिशा में मोड़ देती हैं. You  have  captive votebank which is actually worse than bribes.

SI: पर BJP हमेशा अपनी बात पर अटल रही हैं चाहे वह Article 370 हो चाहे राम मंदिर हो, हम लोग उस से हिले ही नहीं. आप हमें inconsistency के लिए blame  नहीं कर सकती. 

MK: नहीं ,नहीं मैं नहीं कर रही हूँ .

SI: चाहे दीं दयाल जी का भी अंत्योदय की भी जो बात हो आखिरी इंसान के लिए.

MK: मोदी जी के pro-poor measures बहुत उसने institutional reform दी हैं. जैसे Direct Bank Transfer (DBT), जन धन खाते, शाज़िया यह जो freebies की politics हैं अगर कोई पार्टी सही में इसको challenge कर सकता हैं तो BJP हैं. क्योंकि वहां थोड़ी institutional सोच भी हैं, उसपर अगली बार बात करेंगे. अभी तक इसको पूरी तरह challenge नहीं किया गया. क्योंकि पहले हम politicians से यह खफा करते थे की यह election जीतते हैं किसी को हज़ार रुपये देकर, प्रधान को 50000 दे दिए और सारे गांव की वोट बटोर ली. यह जो bribery हैं freebies की यह तो और भी भयंकर हैं.

SI: बिलकुल.

MK: क्योंकि यह हमारे और आपके पैसे से लुटाया जा रहा हैं सकारी खजाना और इससे politics की इतनी विकृति हुई हैं इसपर और आपका जो transition जो हुआ बीजेपी में जाने के बाद उसपर अगली बार बात करेंगे. 

Okay friends next time, next week itself we will meet you with another episode with Shazia on her transition to BJP from AAP and what that has meant for her. 

SI:Thank you so much. 

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