वक्फ का शाब्दिक अर्थ

#वक्फ का शाब्दिक अर्थ है खड़ा होना। रोकना या कब्जे में लेना। थॉमस पैट्रिक ह्यूजेस 
(रूपा एंड कंपनी, दिल्ली, 1999) द्वारा रचित इस्लाम का शब्दकोश वक्फ शब्द की व्याख्या करता है। 

यह धर्मार्थ उपयोग हेतु संपत्ति का विनियोग या समर्पण है। यह एक प्रकार की धार्मिक बंदोबस्ती है जिसका जमींदार वक्फ बोर्ड है। 
आपके जानकारी के लिए बता दें कि भारत में भूमि के मामले में वक्फ की जमींदारी अकल्पनीय रूप से बहुत बड़ी है। इसमें लगभग 4 लाख पंजीकृत संपत्ति और लगभग 6 लाख एकड़ भूमि शामिल है। राज्यसभा के पूर्व उप सभापति के रहमान खान की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त संसदीय समिति के अनुसार, भारतीय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद भूमि का तीसरा सबसे बड़ा स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि वक्फ एक्ट पर पहला कानून 1923 में बनाया गया था, जिसमें बोर्ड को कोई विशेषाधिकार नहीं दिया गया था। इस एक्ट को बनाने का मकसद बस यही था कि अगर कोई मुसलमान अपनी प्रॉपर्टी अल्लाह को देना चाहता है, तो वो अल्लाह को दे सकता और उसकी प्रॉपर्टी कि देख रेख वक्फ बोर्ड करेगा। उसके बाद समय-समय पर इसमें कुछ संशोधन होते रहे। प्रथम संशोधन, वक्फ एक्ट 1954 के तहत हुआ, जिसमें इसे थोड़ी बहुत शक्तियां दी गई। वक्फ एक्ट 1984 के समय राजीव गांधी ने इसे विशेषाधिकार दिए। लेकिन 1995 में जब नया वक्फ एक्ट 1995 लाया गया तब इसे प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार भी दिए गए और फिर वर्ष 2013 में मनमोहन सिंह ने तो इसमें कुछ संशोधन करके वक्फ बोर्ड की ताकत को चरम पर पहुंचा दिया।

चलिए अब समझते है कि आखिर ऐसा क्या है वक्फ एक्ट 1995 में जो इसे हिन्दुओं और पूरे भारत भूमि के लिए बहुत ही ज्यादा ख़तरनाक बनाता है:-

धारा 36 & धारा 40इस प्रावधान में यह लिखा है कि वक्फ बोर्ड किसी कि भी प्रॉपर्टी को चाहे वह प्राइवेट हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट की, उसे अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है।

धारा 40 (1)अगर किसी Individual की प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित किया जाता है तो उसको उस ऑर्डर की कॉपी तक देने का कोई प्रावधान नहीं है और अगर आपने उसके खिलाफ 3 साल के अंदर अपील नहीं की तो वो ऑर्डर फाइनल हो जाएगा।

Sec 52 & sec 54जो सम्पत्ति वक्फ संपति घोषित हो जाएगी, उसके बाद वहा जो रह रहा होगा वो ”ENCROCHER” माना जाएगा। उसके बाद वक्फ बोर्ड डीएम को जगह खाली कराने का निर्देश देगा, जिसे डीएम मानने के लिए बाध्य होगा।

Sec 28 & sec 29: वक्फ बोर्ड का जो ऑर्डर होगा उसका पालन स्टेट मशीनरी एवं डीएम को करना होगा।  अब एक सवाल उठता है कि क्या ऐसे आधिकार किसी पंडित, मठाधीश या फिर किसी अन्य हिन्दू ट्रस्ट को दिया गया है?

धारा 85इसके तहत अगर कोई मामला वक्फ से संबंधित है तो आप दीवानी दावा दायर नहीं कर सकते है, मतलब आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जाने के लिए बाध्य होंगे।

धारा 89: इसमें अगर आप सिविल कोर्ट जाना चाहते है तो आपको वक्फ बोर्ड को दो महीने का नोटिस देना पड़ेगा।

धारा 101: आप यह जानकर दंग रह जाएंगे की वक्फ बोर्ड के मेंबर Public Servant हैं। क्या किसी भी हिंदू संस्थान में मठाधीश, शंकराचार्य, पंडित को पब्लिक सर्वेंट माना गया है?

पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है। वक्फ बोर्ड इसी के स्वामित्व और प्रबंधन के लिए कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत न सिर्फ कानूनी अमलीजामा पहनाया, बल्कि इसके साथ-साथ इसको जमीन हड़पने के प्रशासनिक अधिकार के अलावा विवाद सुलझाने के न्यायिक अधिकार भी दिए। किसी भी रूप से इसका सदस्य या अंग बनने के लिए आपका मुसलमान होना अनिवार्य है।

वक्फ पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है जो मजहब की आड़ में भू माफिया में परिवर्तित हो गई है, पर कांग्रेस ने न सिर्फ इसे वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत कानूनी वैधता प्रदान किया, बल्कि इसे संवैधानिक मान्यता भी दे दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि विषय ‘वक्फ’ भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची से जुड़ी समवर्ती सूची में प्रविष्टि संख्या 10- “ट्रस्ट और ट्रस्टी” के सापेक्ष है जो यह घोषित करता है कि यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का मामला है। प्रधानमंत्री की उच्च-स्तरीय समिति ने पुष्टि की है कि देश भर में 49 से अधिक पंजीकृत वक्फ हैं, जिनमें से दिल्ली में वक्फ संपत्ति के वर्तमान मूल्य का अनुमान 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है। 

उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्ति सबसे ज्यादा है। पर ये सब कहने की बातें हैं। असल में वक्फ अधिनियम, 1995 जैसे काले कानून के रूप में न सिर्फ भू जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि इस संस्था को एकाधिकार प्रदान कर भारत भू संसाधन पर मुस्लिमों का वर्चस्व स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ साथ इस अधिनियम के बहुतेरे प्रावधान ऐसे भी हैं, जिनका धर्मनिरपेक्ष भारत में कोई स्थान नहीं है। इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।

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The Girl From Kathua

About the Book:

On January 10, 2018, a little girl allegedly disappeared in Kathua district of Jammu province. Even before her body was recovered a week later, a sinister narrative was launched alleging that the girl was abducted, gang raped and killed by ‘RSS-minded’ Hindus in a Hindu temple. Talib Hussain, a PDP-Hurriyat activist with criminal antecedents led the campaign, in which Patwari Sanji Ram was declared as the ‘mastermind’.

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